मेरे सामने यू कुछ लोग खड़े है,
मानो जैसे हाथ धो के पीछे पड़े है।
डरना नहीं है इन लोगों से मुझे,
मुझे तो बस आगे बढ़ते जाना है।
रास्ता रोकने आये ये लोग,
मुझको कहा इन लोगो से रुक जाना है।
राह लम्बी है मेरी,
चलने का अंदाज़ भी यू अलग सा है।
दास्तान का पता नही,
पर ये लम्हा काफी खास है।
खुद के साथ खड़ा हूँ मैं,
मानो ये लम्हा उस रब से की कोई अरदास है।-
●inspiration from random sources
इस लम्हें में कुछ ख़ास हैं,
यू तू जो मेरे पास है।
एक याद सी तेरी आयी है,
नाजाने ये कैसा एहसास है।
ये तू ही है ना?
या तेरे पास होने की बस मेरी वो आस है?-
कुछ बातें है जो अधूरी है,
पर ख़ैर छोड़ उन्हें पूरा करना भी कौन सा जरूरी हैं।-
अपनी इस कहानी में मैं तुझसा क्यों बन बैठा,
खुदका जो था मेरा, वो बयां क्यों ना हो सका।
दुआ करी थी जो पाने की,
उसे क्यों पीछे छोड़ आया हूँ।
की नए रास्तो की ख़ोज में निकला हूँ,
पुराने रास्तो से रिश्ता क्यों तोड़ आया हुँ।
ख़ोज में निकला हूँ मैं खुदकी,
ख़ुदको ढूंढ के ही अब वापस आऊंगा।
उन उनकाही बातो का हिसाब,
फिर किसी और दिन चुकाऊंगा।
क़िताब रखी है मैंने हाथ में,
अपने सारे जज़्बात इसी में छिपाऊँगा।
जो ना मिला कभी मैं,
तो मेरी इस क़िताब को पढ़ लेना।
कही मिलू या ना मिलू मैं,
अपने अल्फाज़ो में जरूर मिल जाऊँगा।
जो अगर खो भी गया मैं,
तो भी इन अल्फ़ाज़ों में अपनी दुनियां छिपाऊँगा।
लिखता हूँ वो आखिरी अल्फ़ाज़,
जो जाने से पहले तुझे बताना बाकी है।
दुआ मांगी है तेरे नाम की,
अब बस तेरा मुस्कुराना बाकी है।-
हवां का दस्तूर है बहते जाने का,
शायद इसलिए ये आज तक आज़ाद है।
वार्ना लोग पानी भी कैद कर लेते है बोतल में,
लोगो के जज्बातों की तो बात ही खैर अलग है।-
अंधेरे का शोर है,
यही चारो और है।
चाहे रात में भी अब उजाला है,
पर यहाँ तो सबका मन ही काला है।
इस समझदारों की दुनियां में,
झूट का ही बोल-बाला है।
रुपया से दुनियां बिकती है,
और दुनियां को ना कोई संभालने वला है।-
बचपन याद आता है जब यादों की गुल्लक में हम खुशियां बटोरते थे,
चिल्लड़ सी है ये खुशियां सस्ते में मिल जाती है।
पर अब जिंदगी की अलग कहानी है,
यादों की गुल्लक की जगह शोहरत का बटुआ लिए घूमती है।
और ये तो दुनियां भी जानती है,
बटुए में कभी ज्यादा देर तक चिल्लड़ रुकती नही।-
मैं लफ़्ज़ों में कहने चला था,
जो बस जज़्बातोँ से बयान हुआ था।
मैं वो जंग लड़ने चला था,
जिसका अभी ऐलान ही नही हुआ था।-
लोग वाह-वाह करते है,
और हम अपने ख़्वाबों के दरियां में डूब जाते है।
कोई तो हाथ थाम के बाहर निकाल ले,
दो पल चैन की सास लेने का मन करता है।-
डोरियों में बंधने से पहले,
कुछ धागों की पहचान होती।
काश जिंदगी में उलझने से पहले,
मुझे मेरे खवाबों की पहचान होती।-