Sachin Dhingra   (Heart.Listener)
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● Maitrika is my fictional love 😉🙈
●inspiration from random sources
Joined 5 November 2016


● Maitrika is my fictional love 😉🙈
●inspiration from random sources
Joined 5 November 2016
24 JUL 2021 AT 3:54

Shayar hai hum janab,
Anjaan logo se lambi baat kiya karte hai.
Unke in kisso main,
Apni kahani dhunda karte hai.

Na pucho humse tum,
Hum ye kse karte hai.
Iska jawab to humare paas bhi nhi hai,
Hum to bas unke kisse sunte hai.

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11 MAY 2021 AT 3:10

The base of all,
The heart of mine.
I am formed of honesty,
I will accept pain any time.
No place for lies,
No place for fears.
I am not made of gold,
but from tears.
Its not empty inside,
Just some silence in my mind.
The winds that you ignore,
Are the hurricanes of my mind.
To every true fallen leave,
You have earned respect from heart of mine.

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20 MAR 2021 AT 2:32

The new chains (Incomplete)

Locked myself in a cage,
I tried to control myself.
Dwelling in the dark,
I tried to hide my real face.

I am not the one as it seems,
A part of me is a devil alive.
No emotions to show,
No guilt to experience.
Lacking any sympathy,
I can take any life.

Yet a bit of me is as pure as fire,

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3 FEB 2021 AT 0:14

खिलाड़ी खेल के होते,
हम जिंदगी जीते है।
जिंदगी से बड़ा कोई खेल नही,
और हम हर पल जिंदा रहते है।

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15 DEC 2020 AT 14:35

मेरे सामने यू कुछ लोग खड़े है,
मानो जैसे हाथ धो के पीछे पड़े है।
डरना नहीं है इन लोगों से मुझे,
मुझे तो बस आगे बढ़ते जाना है।
रास्ता रोकने आये ये लोग,
मुझको कहा इन लोगो से रुक जाना है।

राह लम्बी है मेरी,
चलने का अंदाज़ भी यू अलग सा है।
दास्तान का पता नही,
पर ये लम्हा काफी खास है।
खुद के साथ खड़ा हूँ मैं,
मानो ये लम्हा उस रब से की कोई अरदास है।

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7 OCT 2020 AT 3:53

इस लम्हें में कुछ ख़ास हैं,
यू तू जो मेरे पास है।
एक याद सी तेरी आयी है,
नाजाने ये कैसा एहसास है।
ये तू ही है ना?
या तेरे पास होने की बस मेरी वो आस है?

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9 MAR 2020 AT 11:00

कुछ बातें है जो अधूरी है,
पर ख़ैर छोड़ उन्हें पूरा करना भी कौन सा जरूरी हैं।

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10 NOV 2019 AT 18:27

अपनी इस कहानी में मैं तुझसा क्यों बन बैठा,
खुदका जो था मेरा, वो बयां क्यों ना हो सका।
दुआ करी थी जो पाने की,
उसे क्यों पीछे छोड़ आया हूँ।
की नए रास्तो की ख़ोज में निकला हूँ,
पुराने रास्तो से रिश्ता क्यों तोड़ आया हुँ।

ख़ोज में निकला हूँ मैं खुदकी,
ख़ुदको ढूंढ के ही अब वापस आऊंगा।
उन उनकाही बातो का हिसाब,
फिर किसी और दिन चुकाऊंगा।

क़िताब रखी है मैंने हाथ में,
अपने सारे जज़्बात इसी में छिपाऊँगा।
जो ना मिला कभी मैं,
तो मेरी इस क़िताब को पढ़ लेना।
कही मिलू या ना मिलू मैं,
अपने अल्फाज़ो में जरूर मिल जाऊँगा।
जो अगर खो भी गया मैं,
तो भी इन अल्फ़ाज़ों में अपनी दुनियां छिपाऊँगा।

लिखता हूँ वो आखिरी अल्फ़ाज़,
जो जाने से पहले तुझे बताना बाकी है।
दुआ मांगी है तेरे नाम की,
अब बस तेरा मुस्कुराना बाकी है।

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15 SEP 2019 AT 12:27

हवां का दस्तूर है बहते जाने का,
शायद इसलिए ये आज तक आज़ाद है।
वार्ना लोग पानी भी कैद कर लेते है बोतल में,
लोगो के जज्बातों की तो बात ही खैर अलग है।

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9 SEP 2019 AT 0:21

अंधेरे का शोर है,
यही चारो और है।
चाहे रात में भी अब उजाला है,
पर यहाँ तो सबका मन ही काला है।
इस समझदारों की दुनियां में,
झूट का ही बोल-बाला है।
रुपया से दुनियां बिकती है,
और दुनियां को ना कोई संभालने वला है।

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