फ़नह होकर किसी को चाहना कोई गुनाह नहीं,
मग़र, फ़नह होना अपने आप में एक गुनाह है...-
सूरज की किरणों सा रहता हूँ हर दम,
हां मगर, कभी कभी छिप जाता ह... read more
रूठें हैं सभी हमसे,
अब नाजाने कौन मनाएगा...
मनाएगा भी, या फिर नहीं लेकिन,
वो शौख से, शोख तो मनाएगा...-
जैसे हंसता हुआ हर चेहरा सच्चा नहीं होता,
वैसे ही रोता हुआ हर शख्स भी सच्चा नहीं होता,
कुछ अपने से लगने वाले चेहरे कभी कभी अपने नहीं हो पाते हैं
और कुछ गैर से लोग भी कभी कभी अपनों से ज़्यादा कर जाते हैं
और सपनों को घर देने वाले अक्सर, वहीं अपना घर जला जाते हैं
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अपने ही खा गए अपना कहते कहते,
और बचा जो रहा,
सपने भी खा गए सपने दिखाते दिखाते...-
बयां नहीं होते
अपने अब जज़्बात,
कि होती नहीं ख़ुद से
अब ख़ुद की पहले की तरह बात,
और देखने को लगती है
भीड़ यूं तो बहुत,
मगर, दिखता नहीं खड़ा
कोई अपने साथ...-
वो भी एक वख्त था, ये भी एक वख्त है,
वो भी गुज़र गया, ये भी गुज़र जाएगा...-
Hard day for me....
to choose between love or life,
How can I leave a mother,
without loosing a wife.
What do I do, it's quite a tough choice,
For one is my destiny, another my voice.
For love is a dream that I want to chase,
While mom’s love is a comfort
that I can always embrace.-
तेरे दिए ज़ख्म है कि भरते ही नहीं,
और तू है कि नए ज़ख्मों पर भी
ज़ख्म दिए जा रहा है ...-
मैं फिर से जन्म लूंगा दोबारा तेरी कोख से,
तू इस बार मेरे हाथों से बेड़ियां लगा देना,
मैं हो न जाऊ बरबाद इस जनम सा,
चल न पाऊं उस राह
वो पेड़ियां काट देना...
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आँखों से बह जाए गर अश्क मेरे
तो रोकना मत दोस्तों,
लड़का हूं यहीं खयाल
मेरे आंसुओं को बहुत सताते हैं...-