कलम तो उठा ली है,
अब बस शब्दों को मतलब कुछ गहरे देने हैं!!
मरम्मत चल रही है,
अब बस 2-4 साल और लगेंगे!!!-
#play_with_words
मेरे शब्दों में पूरी दुनिया बसी है।
और यकीं क... read more
गली के एक घर में 'शादी', एक घर में 'मातम' था।
ना शादी रुकी, ना मातम थमा!!
Life goes on........
With everybody, With nobody!! ♥️💔-
ये पूर्व की हवा,
मेरे गांव के लोगों का हाल सुनाती है।
ढेरों गलतियां रहीं हों उसकी............
पर बा-खुदा,
उसकी आवाज मुझे आज भी बेहद सुकूं पहुंचाती हैं!!
🖤🤍🖤-
'गुरूर', 'वहम', 'अकड़'
बहुत अच्छी बात नहीं है।
सामने कोई अपना हो तो सिर झुका लेना चाहिए!!!-
सुन बे आलू, तू मिल अकेला किसी दिन खेत में।
तुझे पटक-पटक कर मारूंगा रेत में।
साले रोज-रोज घर में आ जाता है।
हर सब्जी में मिल जाता है।
नुक्स निकालो तुझ में तो घर वालो से डांट पड़वाता है।
तू आ किसी दिन सामने, तेरे लात पड़ेगी पेट में।
तू मिल अकेला किसी दिन खेत में..! 😛😛😛🤣-
थके हुए से रहते हैं।
बुझे हुए से रहते हैं।
सचिन,
इस घर में लोग मरे हुए से रहते हैं!-
भूख-प्यास क्या होती है, ये अहसास देता है।
जरूरतमंदों को खाना और दिलों में विश्वास देता है।
रमज़ान का महीना है साहब,
ये गुनहगारों को भी सुधरने का मौका
और खुदा की इबादत में खुद से मिलने के लिए रोजा देता है।-
'बराबरी'
मैं होकर आजाद लिख दूंगा।
बराबरी एक ख्वाब लिख दूंगा।
तुम जो बातें करते रहते हो ना जाति धर्म की,
मैं अपने शब्दों को करके लहू लूहान लिख दूंगा।
मैं खोया हुआ सम्मान लिख दूंगा।
मेरी जाति सुनकर लोगों का बदला मिजाज लिख दूंगा।
तुमने जो बनाए थे ना कुएं, बस्ती और मंदिर अलग अलग,
मैं होश में आया तो तुम्हारी औकात लिख दूंगा।
तुम्हारी अकड़ को तुम्हारी जात लिख दूंगा।
ये जो जन्म से दाग लगाए हैं ना तुमने मेरे दामन पर,
इन दागों के पीछे छुपी तुम्हारी घिनौनी सोच लिख दूंगा।
मैं होकर आजाद लिख दूंगा।
बराबरी एक ख्वाब लिख दूंगा।
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पहले इतना करीब आते हो
फिर अचानक से दूर चले जाते हो।
खराब लगता है, बहुत खराब लगता है!
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