Sachin Agrawal   (ѕα¢нιи αgяαωαℓ ✍️)
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वास्तविकता से परे
मन के भाव लिख लेता हूँ।✍️
Joined 22 August 2017


वास्तविकता से परे
मन के भाव लिख लेता हूँ।✍️
Joined 22 August 2017
20 MAY 2023 AT 16:10

परम् मित्र :- भाई मुझे तो ₹2000 के नोट बंद होने से कुछ फर्क ही नही पड़ा,क्योकि है ही नही मेरे पास😁


मैं :-👇




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22 MAR 2023 AT 12:48

कुछ हासिल नही हुआ
अदब से पेश आकर तुझसे ऐ ज़िन्दगी

तो अब क्यों ना थोड़ा
बदतमीजी से पेश आया जाए।।


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9 MAR 2023 AT 16:33

ज़िन्दगी
एक खुली किताब जैसी है.....

किसी ने बस एक पेज पढ़ छोड़ दिया
किसी ने पढ़ना तक लाजमी न समझा
किसी ने बस पन्ने उथले
तो किसी ने वक़्त के हिसाब से पढ़ा
और रही सही कसर
सबक रूपी झोंको ने पूरी कर दी

एक-एक पन्ना अलग कर दिया
किताबे- ज़िन्दगी का।।



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7 FEB 2023 AT 18:01

मेरी पोस्ट लाइक और कमेंट करने वालों.....

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29 JAN 2023 AT 11:11

सुकून........


एकान्त सुदुर पहाड़ी इलाका
चाँदनी रात और टिमटिमाते तारे
वो बहती हवा के झोंके
पास बहते पानी से आती कलकल की आवाज
धीमी आवाज में चलते पसंदीदा गाने
जलती आग और उठता धुआँ
मैं और वो अनगिनत यादें

और.......
एक कप गर्मागर्म चाय।।

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27 JAN 2023 AT 9:03

बेहतर की तलाश में उसने उसे भी खो दिया
बस इतना कह वो फूट-फूटकर रो दिया।।



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25 JAN 2023 AT 13:52

तुम वो उलझी हुई कहानी हो
जिसे मैंने सुलझा समझने की कोशिश तो की
लेकिन.....

मैं तो एक छोटा सा किस्सा मात्र था
फिर भी
तुमने तो मुझे पढ़ना तक लाजमी न समझा।।

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23 JAN 2023 AT 11:40

"अब फर्क नही पड़ता किसी के कहने भर से
इसीलिए लोगों को कहने देता हूँ।

सभी को समझा नही सकता
इसीलिए अब रहने देता हूँ।

अभी थोड़ा वक्त है,वक़्त बदलने में
इसीलिए थोड़ी तकलीफ मन को सहने देता हूँ।

किस्मत का लिखा बदल नही सकते
इसीलिए खुद को वक़्त के साथ बहने देता हूँ।

कितने लोगों को चुप करवाएगी ये ज़िन्दगी
इसीलिए सभी को सब कह लेने देता हूँ।।

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18 JAN 2023 AT 22:12


"पूरा दिन निकल जाता है,पता भी न चलता
फिर आती है स्याह काली रात
मन खो जाता है,अतीत की गहराहियों में
याद आती .....
वो बीती यादें
वो बीते लम्हें
वो हँसी के पल
वो लोग जो ना चाहते हुए भी बिछुड़ गए
वो लोग जो चाहते हुए भी मेरे न हुए
वो लम्हा जब मैं बहोत खुश था
वो लम्हा जब मैं बहोत रोया था।

जैसे-जैसे अंधेरा बढ़ता जाता,वैसे-वैसे पुरानी यादें
ताजा होती चली जाती
और पता भी नही चलता कब नींद ने
अपने आगोश में ले लिया
और फिर सुबह आँसुओ से भीग तकिया रात का
दर्द बयाँ करता है।।



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16 JAN 2023 AT 16:05

ऐ जिंदगी.....

थक सा गया हूँ अब भागते-भागते
अब और कितना दौड़ाओगी।

हँसना तो बहोत पहले भूल चुका हूँ मैं
अब और कितना रुलाओगी।

हार चुका हूँ तुझसे ज़िन्दगी
अब जीत का ओर कितना जश्न मनाओगी।

थक गया तुझे मनाते-मनाते
अब तो इंतजार है उस दिन का
जब मैं रूठूँगा और तुम मनाओगी।

गर रोक ली मैंने साँसे अपनी
फिर किसे सताओगी।

ऐ ज़िन्दगी फिर किसे रुलाओगी!
ऐ ज़िन्दगी फिर किसे सताओगी!

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