Sachin Agrahari  
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Joined 29 March 2020


Joined 29 March 2020
8 APR AT 14:33

मेरा हर प्रयास निष्फल हो रहा है
जैसे कदम - कदम पर कोई छल हो रहा है
नींद ,सपने,सुकून पहले जैसे नहीं रहे
मेरे विपरीत सब कुछ आजकल हो रहा है


~ सचिन अग्रहरि

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4 APR AT 11:50

सारे भरम मिटा के आया हूं
ज़ख्म पर ज़ख्म खा के आया हूं
कोई किसी का नहीं हमदर्द यहाँ
मैं तो सबको आजमा के आया हूं

~ सचिन अग्रहरि

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1 APR AT 15:48

ऐसा नहीं की मेरे प्रति उसकी चाह कम थी
या फिर एक-दूजे की फिक्र व परवाह कम थी
दौलत की छांव में जिसके संग वो ब्याही गई
बस उसकी तुलना में मेरी तनख्वाह कम थी

~ सचिन अग्रहरि

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30 MAR AT 15:20

हरकतों से खैर अभी थोड़ा बच्चा हूं
फिर भी सीधा- सादा एकदम सच्चा हूं
तुम मुझे उन लड़कों की श्रेणी में ना रखना
जितना दिखता हूं, उससे कहीं ज्यादा अच्छा हूं

~ सचिन अग्रहरि

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29 MAR AT 15:45

समय बस काटना है अब,किसे रिश्ता निभाना है
दिखावे की ये दुनिया है, यहां सबको दिखाना है
कभी इज़्ज़त,कभी दौलत,कभी हसरत की दीवारें
यहां हर शख्स के होठों पर कुछ न कुछ बहाना है

~ सचिन अग्रहरि

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27 MAR AT 13:40

बेख्याली में भी मेरे नाम का ख्याल रहेगी
जब तक जियोगी ख़ुद से एक सवाल रहेगा
ख़ुद को मैं इतना काबिल बना लूंगा कि
मुझको ना पाने का तुम्हें मलाल रहेगा

~ सचिन अग्रहरि

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25 MAR AT 15:43

हम से पूछो कैसे करते अपना सत्यानाश
भरी जवानी में कुर्बानी करने का एहसास
जोगीरा सारा रा रा रा......


अपनी तो जैसे तैसे ही कट जायेगी यार
नहीं करेंगे शादी - वादी नहीं करेंगे प्यार
जोगीरा सारा रा रा रा.....


सच्चा वाला प्यार है मेरा एक पल का नहीं लगाव
होली में स्वीकार करो मेरे शादी का प्रस्ताव
जोगीरा सारा रा रा रा.....


हम तो बेरोजगारी के मारे, किस्मत भी नहीं है साथ
कौन थमाए अपनी बिटिया का मेरे हाथ में हाथ
जोगीरा सारा रा रा रा.....

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25 MAR AT 13:16

तुम्हारे यादों के रंगों में सराबोर हूं
तुम्हारा अपना हूं मैं नहीं कोई और हूं



तुम्हारी यादों को हमने कुछ यूं संभाल रखा है
तुम्हे जो लगाया था पिछले साल, अब तक वो गुलाल रखा है


~ सचिन अग्रहरि

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23 MAR AT 22:50

अब तो हर जीत में ही मेरी हार है
मेरी जिंदगी पर उसका ऐसा उपकार है
मुझे पहली नज़र में वो पसंद आ गई लेकिन
मुझको नापसंद करने का उसे पूरा अधिकार है

~ सचिन अग्रहरि

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23 MAR AT 12:55

किसी के साथ रहकर, फिर किसी के बिन हो जाना
इतना आसान थोड़ी है यहां सचिन हो जाना
गमों के धूप में जलकर, पछतावे का दिन हो जाना
इतना आसान थोड़ी है यहां सचिन हो जाना

~ सचिन अग्रहरि

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