Sachin Agale  
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Joined 5 October 2017


Joined 5 October 2017
27 APR 2024 AT 1:43

यह खुदा की रहमत थी, के हमें इस मुकाम तक पहुंचा गया।
अब वो अपने रास्ते हैं, और हम अपने।

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29 SEP 2021 AT 21:13

saans aati rahi
saans jaati rahi
intezaar hotaa rahaa..

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17 MAY 2021 AT 21:53

शेहेर में नही हो तुम तो देखो
ठंड काफी बढ़ गयी है यहां
दो कमीज़ जादा पहन कर
कम्बल ओढ़े बिस्तर पर
अब नींद काफी अच्छी आने लगी है।

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16 APR 2021 AT 20:07

हसीन है जिंदगी तेरे अब ना होने से
तुम थी ये बस खयाल थे मेरे ।

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30 JAN 2021 AT 23:12

ये जो अदा है तुम्हारी
उन्हीं ने हमे छेड़ा
वारना हम तो अपने ही
रास्ते चल रहे थे ।

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30 JAN 2021 AT 22:31

तुम इसके उसके
सब के बन गए
बस मेरे नही बने।

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10 JAN 2021 AT 23:55

शेहेर में नही हो तुम तो देखो
ठंड काफी बढ़ गयी है यहां
दो कमीज़ जादा पहन कर
कम्बल ओढ़े बिस्तर पर
अब नींद काफी अच्छी आने लगी है।

शेहेर में नही हो तुम तो देखो
बेवक़्त बरसात होने लगी है यहां
दो प्याला चाय भर कर
मौसम में गुम
अब खुद ही पीने लगा हूँ।

शेहेर में नही हो तुम तो देखो
सड़के भरी लगने लगी है यहा
दो हांथों को सीने से मोडकर
कुछ निहारते सड़क किनारे
अब अकेले ही चलने लगा हूँ।

शेहेर में नही हो तुम तो देखो
अब ख़ुद से काफी बात होने लगी है यहां।

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30 DEC 2020 AT 22:36

यहा बेख़बर हवाएं हैं
बेख़बर समंदर भी
और बेख़बर मैं...

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18 MAR 2020 AT 0:24

समंदर की लहरें जब पैरों से आ छुई
जरा ख़ामोशी मुझमें मेहसूस हुई

महसूस हुआ कुछ जिससे बेखबर था
मन के वेहेम में खोया हुआ सा...

समंदर की लहरें जब पैरों से आ छुई
मुझे ख़ुद से रिहा कर गई ।

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4 FEB 2020 AT 22:45

इस पल को छोड़कर
अब सब जाने लगे है,
औरों में पेहेचान बनाने
अपनो से पेहेचान मिटा रहे है।

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