SABIR KHAN   (Leftistalk✍️)
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हक़ ब्यान करता हूँ, आवाम का दर्द लिखता हूँ और लोग वामपंथी कहते हैं।
Joined 11 December 2019


हक़ ब्यान करता हूँ, आवाम का दर्द लिखता हूँ और लोग वामपंथी कहते हैं।
Joined 11 December 2019
31 DEC 2020 AT 22:04

Lost a pair of slippers outside a mosque & a few friends in 2020.
Guess what?
i want only my slippers back.

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31 OCT 2020 AT 21:34

यहाँ तो मेरा अपना खुद का रुतबा है साहब ।
गर तुम बड़े नेता हो,तब भी भाड़ में ही जाओ।।

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2 OCT 2020 AT 23:13

वो जो तुम्हें हर वक़्त भीड़ में घिरा-घिरा सा है दिखता ।
हद है, उसे तो बात तक करने को कोई नहीं दिखता ।।

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30 SEP 2020 AT 13:16

दरिंदों ने हाथरस में एक बेटी की जीभ काटी और
ये मीडिया, जनता, पार्टियां, मोर्चे सब गूंगे हो गए।

उन्हीं दरिंदों ने उस बेटी की रीढ़ की हड्डी तोडी और
कानून, अदालतों, सरकारों सब की कमर टूट गयी।।

खैर उसने तो जिंदगी और मौत से एक को चुन लिया
मरे जमीर वालों तुम जमीर जगाओ या मर ही जाओ।।।

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24 SEP 2020 AT 15:46

"A particular time always comes where anti people policies of government leads masses to armed revolt"

"एक विशेष समय हमेशा आता है जहां सरकार की जन विरोधी नीतियां जनसाधारण को सशस्त्र विद्रोह की ओर ले जाती हैं।"

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11 AUG 2020 AT 18:18

ख़ामोशी में आपकी शायरी का लुत्फ़ लेते थे
आपके जाने ने तो ख़ामोशी की इन्तेहाँ कर दी।।

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2 AUG 2020 AT 23:58

तू एक बे-इंतिहा हसीन इंसान है,
जहान जिससे चाहता राबता है।
तुझसे तो मेरा राबता-ए-ख़ास है,
दोस्त, दिल क्यों तुझसे सोगवार है?

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10 JUL 2020 AT 17:34

सियासतदानों की दोस्ती में नफ़ा - नुकसान
हमेशा ही उनके नफ़े के हिसाब से मिलता है।

और तुम भी तो एक सियासतदान हो...!

सियासतदानों : politicians
नफ़ा : gain/profit

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15 JUN 2020 AT 14:12

हो सकता है तुम्हें मालूम ना हो मगर
ये सोशल मीडिया फॉलोवर्स कुछ मायने नहीं रखते

ये सब महज़ हमारे आस पास एक वर्चुअल भीड़ है और भीड़ में ही इंसान को अकेलेपन का खतरा सबसे ज्यादा रहता है।।

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28 MAY 2020 AT 0:09

तुमने हमारी कोरोना योद्धाओं के लिए सुरक्षा किट्स और स्वास्थ्य बीमा की माँग को राजनीति कहा, चलो कोई बात नहीं।

चंद कीड़े कुर्सी के घोटालों में पूरी स्वास्थ्य प्रणाली खा कर कोरोना योद्धाओं की जान से खेल गये, तुमने आह तक भरी नहीं।

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