Sabiha siddiqui   (Sabiha writes...✍)
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Joined 1 April 2021


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Joined 1 April 2021
18 MAR AT 21:17

हिम्मती होते हैं जो मुश्किल घड़ी में सब्र करते हैं तन्हाई में रो लें पर महफ़िलों में मुस्कुरा के मिलते हैं

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18 MAR AT 21:10

ख़्वाब

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14 APR 2022 AT 14:28

khubsurat sa Dil hai aur pyari si hai Muskaan
Rakhti sabka khayal aur hai khubiyon ki khaan

Yun baatein itni pyari inki jaise Sheeri Zubaan
Gham chu bhi na pae yun raho ghamon se anjaan

Har khushi mile Zindagi me mukammal ho arman
dua hai mile apko Dhero Khushiyoun bhara jahan

Khubsurat sa dil hai aur Pyari si hai Muskaan
Rakhti Sabka khayal aur hai khubiyo ki Khaan
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12 APR 2022 AT 22:17

जो खुद को समझ बैठतेे हैं वक्त-ए-शहंशाह
वो बेवकूफ़ क्या जाने बदलते वक्त का जलाल क्या होता है

जो बैठते हैं कुर्सी पर बन कर के सियासतदार
वो क्या जाने कि आम इंसान का दर्द-ए-हाल क्या होता है

जो करते हैं सफ़र दो क़दम भी मर्सिडीज़ कार में
वो क्या जाने पेैदल चलने का लुत्फ़-ओ-अंदाज़ क्या होता है

जिन को मिल गई नौकरियां सिर्फ चंद पैसों से
वो क्या जाने मेहनत कर बेरोज़गार का मलाल क्या होता है

जो भागते रहे दिनों रात दौलत के पीछे ताउम्र
वो क्या जाने की चंद पैसों में सुकून-ए-ख़ास क्या होता है

जो बड़ों की इज्ज़त और छोटों से प्यार से बात न करें
वो क्या जाने सबीहा की बेहतरीन अख़लाक़ क्या होता है— % &

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10 APR 2022 AT 21:17

वो जो दिल पर अपनों के तंज़ लगते हैं न...
ताउम्र दिमाग उन्हें याद रखता हैै...!

Wo jo Dil par apno ke tanz lagte hain na...
taumar Dimag unhe yaad rakhta hai...!— % &

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7 APR 2022 AT 16:31


शाद रहें,सेहतयाब रहें,और आबाद रहें
ख़ुदा करे आप हर ग़म से आजा़द रहें
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3 APR 2022 AT 15:44

ख़ुबसूरत किरदार रखते हैं
नेक अख़लाक़ रखते हैं
सभी का क़ल्ब जीत लेें
यूं मीठी ज़ुबान रखते हैं

ख़ूबसूरत अल्फाज़ लिखते हैं
भाई बेहद शानदार लिखते हैं
ग़म हो या हो ख़ुशी का मौज़ू
ग़ज़ल असरदार लिखते हैं— % &

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2 APR 2022 AT 22:53

ऐ ख़ुदा इतनी सी इनायत कर दे
सारे आलम में रहमत की बारिश कर दे
बेशक गुनहगार हैं हम सब,बहुत ख़ताकार हैं हम सब
मेरे मौला हम सबके गुनाहों की मगफि़रत कर दे
रहमत की घड़ी आयी है,इबादत का महीना है
मेरे मौला हम सबके नेक तमन्नाओं को पूरा कर दे
मेरे परवरदिगार,बेशक तू है क़ादिर हर शय पर
ऐ रब हम सब नेक रास्ते पर चलें तौफि़क अता कर दे
तेरे इशारे पर हिलता है बेशक एक पत्ता-ए-शज़र भी
ऐ ख़ालिक अब एक नज़र इधर भी ज़रा कुन कर दे
है फ़क़त आरज़ू दिल न दुखे सबीहा से किसी का या रब
ऐ मौला मुझ गुनहगार पर इतनी सी इनायत कर दे— % &

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2 APR 2022 AT 14:18

स्वर्णिम अक्षरों में रहे आपका नाम अंकित
आपका व्यवहार है सद्गुणों से सुसज्जित
सुंदर रचनाओं के सम्मुख चादं भी लज्जित
जीवन पथ पर रहे आप सदैव सफ़ल हर्षित — % &

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31 MAR 2022 AT 19:55

याद है "सबीहा" हर मुश्किल में ख़ुद को कैसे संभाला तुमने,
इन रंग-बिरंगे फूलों ने सीखा था काँटों में भी मुस्कुराना तुमसे!— % &

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