फंसाने रात के चलों तुमको हम सुनाते हैं
इन अंधेरों में कैसे यादों की शमा जलाते हैं
तेरे शहर की गलियों से जब हम गुजरते हैं
तेरे आंचल के सितारे हमें रास्ता दिखाते हैं
हमने माना कि अजनबी है एक दूजे के लिए
दिल के रिश्ते हम अपनी वफ़ाओं से निभाते हैं
ना मिल सके इस दुनिया में तो कोई बात नहीं
मोहब्बत का एक ताजमहल हम भी बनाते हैं
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Sabiha Khan
(Sabiha salam)
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Writer and social worker
Joined 1 April 2018
15 SEP 2022 AT 19:26
9 SEP 2022 AT 8:18
ज़िंदगी ने कुछ ऐसा सबक़ सिखा दिया
उम्र भर का सफ़र चंद लम्हों में बिता दिया-
16 AUG 2022 AT 22:26
गुफ्तगू शाइस्ता ही रहे महफ़िल में तो बेहतर है
किसी को मज़हका-ख़ेज़ बनाना अच्छी बात नहीं-
14 AUG 2022 AT 20:48
हमने मोहब्बत कुछ इस तरह से निभाई हैं
मुलव्विस वो था गुनाह में,सज़ा हमने पाई है-
14 AUG 2022 AT 15:29
अगर इश्क़ है हमसे तो वो मान जायेगी
पलट कर देखेगी एक बार और लोट आयेगी-
13 AUG 2022 AT 22:25
ज़िंदगी तेरी हर ख़वहिश पर जीना गवारा कर लिया हमने
इकहरे होकर मतलबी दुनिया से किनारा कर लिया हमने-