खुल जाओ तो फ़तवे जारी
पर्दे में क्या सब जायज़ है?-
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अन्तरमन में कलकल,छलछल बहते आँसू
भीतर भीतर आँसू से कुछ कहते आँसू
कभी खुले जो द्वार ,नदी से बह जायेंगे
करूणा के कुछ मोती पीछे रह जायेंगे
तुम कंकड़-पत्थर भी फिर बीनोगे पथ के
बलिहारी जाओगे मेरे अंतिम रथ के
मेरे आँसू सच्चे थे ये बतलायेंगे
आँसू ही आँसू की भाषा समझायेंगे
बहने को आतुर हैं, फिर भी सहते आँसू
भीतर भीतर आँसू से कुछ कहते आँसू
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सारी ज़िन्दगी के मायने
बदल कर रख देते हैं
इसलिए हर पल अपनी
सलाहियत और काबिलियत से काम लें
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ज़िन्दगी जीना अलग बात है
ज़िन्दगी गुज़ारना अलग बात
ज़िन्दगी ख़र्च करना अलग बात है
ज़िन्दगी जोड़ना अलग बात
ज़िन्दगी संवारना अलग बात है
ज़िन्दगी बर्बाद करना अलग बात
ज़िन्दगी को ज़िन्दगी कहना अलग बात है
और ज़िन्दगी को ...........
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पूरी हो जाती तो दिल का अरमान निकल जाता
पर आरज़ू पूरी न हुई
बस आरज़ू ही बन कर रह गई
आरज़ू थी एक-
जब एक बार कोई चीज वापस चली जाती है तो फिर दोबारा कभी लौट कर नहीं आती
लौटकर आती हैं तो बस उनकी यादें
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