ना जाने कौनसे गुनाहों की सज़ा मिली हमें,
वफ़ा की फिर वफाओं की सजा मिली हमें,
मेरा स्कूल, मेरा बैग मेरे प्यारे प्यारे बाबा,
मलबे तले दबी गुड़िया और मा मिली हमें,
वो रोज़े भी रखे मैंने जो मुझपे फ़र्ज़ ना थे,
मगरिब के बाद भी नूर खजूर ना मिली हमें,
लोरिया भी रोने लगी मेरी जब बारूद गिराए,
टूटा हाथ मेरे भाई का और चिखे मिली हमें,
गरीबों की बस्ती को वीरान कर दिया है आज,
रब के कलाम से जीने की वजह मिली हमें,
ना अक्सा का अहे त राम है ना सुलेमान का,
कहने हम इब्राहिमी है क्या रजा मिली हमें??-
उरूज के बाद ज़वाल कैसे न देखु?,
रब का मेरे ये कमाल कैसे न देखु?,
गुनाहों से हिजरत तू करता क्यों नहीं,
बदी में घिरा है ये सवाल कैसे न देखु?,
ये तपती धूप ये बेमौसम बारिश भी,
गुनाहों के ऐवज़ ये बवाल कैसे न देखु?,
नेमतों पे इतराता ना शुक्र अदा करता,
इब्न ए आदम की ये मजाल कैसे न देखु?,
ना पत्थरों की बारिश, चिख़ की आहट है नूर,
गफलत में डूबा दिया रब का ये जलाल कैसे न देखु?,
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दुनिया फरेब दे देकर परहेज़गार हो गई नूर,
और हम ऐतबार कर कर के गुनाहगार हो गए!!-
ना आंखो में खुशी ना रुखसार पे रंग ए तबस्सुम,
मेरे फलस्तीनी भाईयो की क्या ईद हुई होगी नूर!!-
कंधों पे मेरे जब बोझ बढ़ जाते है नुर,
मेरे बाबा मुझे शिद्दत से याद आते है!!-
कर के गुनाहों से हिजरत मै फला पाऊ,
गुनहगार दिल को नेकियों से जला पाऊ,
सजदे में सर होंटो पे दुवाओं की तस्बीह,
वो कून कह दे मै इबादत का सिला पाऊ,
दे ईमान की ताक़त जज़्बा ए गाजी मुझे,
फिर मै दीवार कैसर ओ कसरा हिला पाऊ,
फतह करू अज़ीम जंगे तबूक उहद खंदक,
ईमान की दौलत से अक्सा का किला पाऊ,
मुझे कर दे खालिक इतना बहादुर के मै,
अज़ीम सहाबा से उम्मत को मिला पाऊ,
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मेरे टूटे ख्वाबों को मुसल्ले पे कोई तामीर करता है,
है मेरा शौहर जो मेरे लिए तहज्जुद में दुआ करता है!!-