जब तक हम सपने से नहीं जागते तब तक हमें सच्चाई का पता नहीं चलता और हम सपने को ही हकीकत समझते हैं।
यहीं सच्चाई जिंदगी की होगी।-
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जब तक हम सपने से नहीं जागते तब तक हमें सच्चाई का पता नहीं चलता और हम सपने को ही हकीकत समझते हैं।
यहीं सच्चाई जिंदगी की होगी।-
यूं सब से रूठ कर मुझको जाना कहां हैं
कोई दूसरा मुकाम मुझे पाना कहां हैं
कोई पूछे भी अगर हालत मेरे
इस जिद्दी दिल को भी बताना कहां हैं
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हिम्मत खत्म है और साथ तो कोई है नहीं
जीना पड़ रहा है और इरादा तो कोई नहीं ।-
एक समय के पश्चात
समय माँगने वाला व्यक्ति
उकता जाता है माँग माँग कर
और तब शुरू करता है त्यागना
त्यागता है अपना मोह
अपनी इच्छाएँ, आशंकाएँ
और अंततः त्याग देता है
उस व्यक्ति को जिससे
सब कुछ मिलता हो माँगने पर-
ना जाने ये कश्मकश का सफर कब सुलझेगा?
हम तेरे है या किसी ओर के, ये सवाल कब सुलझेगा?
तेरे ना होने पर भी गम सा है
और तेरे होने पर भी सब नम सा है।
ना जाने ये कश्मकश का सफर कब सुलझेगा?
हम तेरे है या किसी ओर के, ये सवाल कब सुलझेगा?
तुझे पाने की चाह नहीं पर खोने की राह पर चलने से भी डर लगता है।
ना जाने ये कश्मकश का सफर कब सुलझेगा?
मंजिल की राह सामने हैं पर उन सीधे रास्तों पर भी
थमने का मन करता है।
ना जाने ये कश्मकश का सफर कब सुलझेगा?
हम तेरे है या किसी ओर के, ये सवाल कब सुलझेगा?-
चलो रात का सफर तय करते हैं
अंधेरे में भी आँख बंद कर के चलते हैं
जिस बात का कोई मतलब नहीं
उस बात को खुशी से कर के चलते हैं
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वो गई तो क्या हुआ
उसकी बातें बाकी है ।
उम्र गुजारने के लिए
उसकी यादें बाकी है।।-