मतलबी मशीनी पहचान है।गुड़ में लिपटे चुपड़े,असल चेहरे को परत में लपेटे है।स्वार्थ इतना भारी,रिश्ते अनाथ दिखते है।रंग बेरंग अपनी धुन के,मिसाल अलग लिखने चले है।। -
मतलबी मशीनी पहचान है।गुड़ में लिपटे चुपड़े,असल चेहरे को परत में लपेटे है।स्वार्थ इतना भारी,रिश्ते अनाथ दिखते है।रंग बेरंग अपनी धुन के,मिसाल अलग लिखने चले है।।
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कह गई कहानी सारी।पल भर में देखते,झरने बहा गई खारी।गहरे जख्म छिपाएं,बोझ दिल का दिखा गई भारी।समझे नहीं इशारे जो,ख़ामोश बातें कह गई सारी।। -
कह गई कहानी सारी।पल भर में देखते,झरने बहा गई खारी।गहरे जख्म छिपाएं,बोझ दिल का दिखा गई भारी।समझे नहीं इशारे जो,ख़ामोश बातें कह गई सारी।।
जाते जाते तेरी राह ना देखे,कुछ नुस्खे सीखा जा।जाने के तेरी याद ना सताए,कुछ तदबीर करा जा।उलझ के भी अनसुलझे रिश्ते हमारे,कुछ तो बेवफाई सीखा जा।। -
जाते जाते तेरी राह ना देखे,कुछ नुस्खे सीखा जा।जाने के तेरी याद ना सताए,कुछ तदबीर करा जा।उलझ के भी अनसुलझे रिश्ते हमारे,कुछ तो बेवफाई सीखा जा।।
बस कुछ भरा है शिकायतों से,बोझिल करती रोज़ मर्रा की चहलपहल से,भर ऊर्जा...ख़ोज खुद को...।आसान हो जाएगी राह सभी,निकल चल संग सरगम से,बांध नए सुलझे सिरों से,बढ़ चल...भूल गमों को...!! -
बस कुछ भरा है शिकायतों से,बोझिल करती रोज़ मर्रा की चहलपहल से,भर ऊर्जा...ख़ोज खुद को...।आसान हो जाएगी राह सभी,निकल चल संग सरगम से,बांध नए सुलझे सिरों से,बढ़ चल...भूल गमों को...!!
क्या जताएं क्या बुझाए पहेली प्यार की,यूं ही चाह बरकार रखेंगे हम।सवालों के अनबूझे जवाबों में,यूं ही ख़ामोशी से प्यार करेंगे हम।खतों में रखे तेरी याद के सूखे गुलाब,यूं ही महकते शामिल करेंगे हम। -
क्या जताएं क्या बुझाए पहेली प्यार की,यूं ही चाह बरकार रखेंगे हम।सवालों के अनबूझे जवाबों में,यूं ही ख़ामोशी से प्यार करेंगे हम।खतों में रखे तेरी याद के सूखे गुलाब,यूं ही महकते शामिल करेंगे हम।
चढ़े जो रंग....प्रेम का....तुम्हें भी ले....भीगो जाए संग मेरे!! -
चढ़े जो रंग....प्रेम का....तुम्हें भी ले....भीगो जाए संग मेरे!!
बांध एक दूजे को चाहे यादों से ही।गुजर जाएगी ज़िंदगी चाहे दूरियों से ही।। -
बांध एक दूजे को चाहे यादों से ही।गुजर जाएगी ज़िंदगी चाहे दूरियों से ही।।
चलो मिलने खुद से भी कभी।बिखरे को समेटती रखती करीने से,बस खुद को भुलाए याद ना रखी अपनी कभी।बड़ों की दवाई, बच्चों की फरमाइश, सभी का ख्याल,खुद की चोट पर मरहम भी नहीं लगाई कभी।मां, पत्नी, बहन, बेटी अवतार से कम नहीं तुम,हर रूप में शामिल दिल से फिर भी अपनी कहलाई नहीं कभी।। -
चलो मिलने खुद से भी कभी।बिखरे को समेटती रखती करीने से,बस खुद को भुलाए याद ना रखी अपनी कभी।बड़ों की दवाई, बच्चों की फरमाइश, सभी का ख्याल,खुद की चोट पर मरहम भी नहीं लगाई कभी।मां, पत्नी, बहन, बेटी अवतार से कम नहीं तुम,हर रूप में शामिल दिल से फिर भी अपनी कहलाई नहीं कभी।।
शिव करुणामयीशिव ही जगतपिता पालन हार।शिव अंतर्यामीशिव से ही निरंकार।शिव सृष्टि शिव से ही आत्म ध्यान!! -
शिव करुणामयीशिव ही जगतपिता पालन हार।शिव अंतर्यामीशिव से ही निरंकार।शिव सृष्टि शिव से ही आत्म ध्यान!!
ज़ख्म एक गहरा देता है।सोचे बिना फैसले करे जाए,उलझन हज़ार देता है।कलह कड़वाहट भुला देना सही,अंजाम दर्द देता है।कब टिकी गलतफहमी में ज़िंदगी,गुलफाम भी सुनसान बना देता है।। -
ज़ख्म एक गहरा देता है।सोचे बिना फैसले करे जाए,उलझन हज़ार देता है।कलह कड़वाहट भुला देना सही,अंजाम दर्द देता है।कब टिकी गलतफहमी में ज़िंदगी,गुलफाम भी सुनसान बना देता है।।