सांवली (Reena)   (सांवली(Reena))
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जिन्दगी का हर लम्हा
पन्ने पर उतरे जरूरी नहीं ,
हर बादल बरसे
जरूरी नहीं।
Joined 2 May 2019


जिन्दगी का हर लम्हा
पन्ने पर उतरे जरूरी नहीं ,
हर बादल बरसे
जरूरी नहीं।
Joined 2 May 2019

धुंध में छिपा
पतझड़ सा साथ
रंग प्रेम का।

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इश्क़ ए हाल क्या बूझे,
उलझे बेहिसाब सवालों में।

दूरियां मीलों की दरमियान,
हर जवाब उन्हीं के इंतज़ार में।।

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गुनगुनाते अल्फ़ाज़,
कहानी तेरी मेरी कह गए।
ख़ामोश निगाहें,
तस्वीर संग तेरी झलका गए।

उलझी लकीरें,
स्पर्श तुम्हारा सहला गए।
मीलों की दूरियां,
एहसास तेरी मौजूदगी का बता गए।।

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सुलझता दौड़ता हवा की रुख सा दिन गुजरता,
कम्बख़त यादें तेरे मवद्दत (प्रेम) की सिरहाने से भी नहीं हटती।।

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उलझे लफ्ज़ और तराना तुम्हारा!

खामोश खोजती निगाहें और ख़्वाबों में मिलना तुम्हारा,
कोहरे से घिरी राहें और महसूस होता गुनगुना-सा स्पर्श तुम्हारा!!

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कुछ हिस्सों में मिलना तेरा, चाहे अधूरी कहानी के जैसे,
लिखा कुछ पल का साथ ही सही तेरा, ख़्वाब के जैसे ।।

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गुनगुनाहट तेरे स्पर्श की
ठहर गई उन्हीं पलों में कहीं।।

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सुनहरी धूप में खिली छांव को नापते,
चले फिर चले उन पुरानी राहों में।

ना टटोले उंगलियों से सिमटी दुनिया को,
चल फिर बिखरे रंग छुपा ले अपनी आंखों में।

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31 DEC 2024 AT 17:53

जाते दिसंबर और आते नए साल में
प्रेम स्पर्श रिश्तों का संभाल रखना अपना।।

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7 NOV 2024 AT 20:52

बढ़ी तेरे मेरे बीच की दूरियों में,
ठहरा वक्त आज भी सिर्फ़ तेरा ही है।।

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