ॐ नमः शिवाय
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पढ़ना सायद आपको भी मेरा लिखा भा जाए।
और मेरी छोटी सी कलम आपके हृदय के काम आ ज... read more
मास्टर जी घौर अयां,
बेड़ देहरादून बिटि।
भारी गर्मी होणी तख,
छुवीं लगणी रोज तौंकी।।
तापमान तख बल,
हाफसेंचुरी का पार ह्वैगि।
गर्मियों की छुट्टी मनौणौं,
मास्टर जी स्यू घार ऐगि।।
जू ब्वै-बाबू की पुंगड़ी करिं,
मास्टर जी तख पाणी लाण्यां।
पाणी लांदू लांदू तख,
स्यू मास्टर जी गाणा गाण्यां।।
सब्बी धाणी देहरादून,
खाणी सेणी देहरादून।
छोडा पहाड़ियों घौर गौं,
मारा ताणी देहरादून।।
✍️ हरपाल सिंह भण्डारी
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🌞समय के साथ बदलता समाज🌞
पहले यदि किसी व्यक्ति को यह कहा जाता था कि
मैं तेरी Reel बनाऊंगा वो नाराज़ हो जाता था।
और
आज किसी को यह बोल दो कि मैं तेरी Reel बनाऊंगा
तो वो कहता है रुक थोड़ा अच्छे से बनाना।।
✍️हरपाल सिंह भण्डारी
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आज बारिश के बादल से छा रहे हैं।
ये बारिश आयेगी भी या यूं ही डरा रहे हैं।।
#मौसम
✍️ हरपाल सिंह भण्डारी
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अन्धकार से प्रकाश की ओर हर अभियान हमारा हो।
हमारे इस अभियान में जुड़ा समाज सारा हो।।
अन्धकार से उपर निकलकर प्रकाशमय किनारा हो।
उसी किनारे से निकले जो ज्ञान की निर्मल धारा हो।।
✍️ हरपाल सिंह भण्डारी
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सरकारन भी सट्ट सुण्याली,
करवाचौथ की छुट्टी करियाली।
एकतरफा फैसला मां अधर्म करियाली,
आधा जनसंख्या कू मन्न मारियाली।।
सरकार की भी मजबूरी रै होली,
कतमत मां निकाऴयूं आदेश साफ दिख्यांद।
ऑफिस मां कतमत लाणू छ चांद,
अर घौर मां भूखी जमाणी छ बांद।।
फंड फुका जू भी ह्वाई,
सभ्यों तैं करवाचौथ की बधाई।।
#karwachauth2023
✍️ हरपाल सिंह भण्डारी
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हे सरकार यनु कानून बणै दियां।
पहाड़ का बाघ सभ्भी मरै दियां।।
डौर बैठीं रौंदी सभ्यों की जुकुड़ियों।
हे सरकार ईं डौर मिटै दियां।।
कुछ पलायन कू कारण यु बाघ भी ह्वैगि।
हे सरकार ये पलायन बचै दियां।।
हे सरकार यनु कानून बणै दियां।
पहाड़ का बाघ सभ्भी मरै दियां।।
बुबा कू बाखरा चरौण छुड़ाई।
ब्वै कू घास-पात ल्योणु छुड़ाई।।
ये बाघ की डौरौ कै दिन बिटि।
नौनिहाल भी स्कूल नी ग्याई।।
हमारी औण वाळी पीढ़ी बचै दियां।
हे सरकार यनु कानून बणै दियां।
पहाड़ का बाघ सभ्भी मरै दियां।।
✍️ हरपाल सिंह भण्डारी
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भूरु तैं स्यू बाग लीगी, बकरवाळी बगाण मां।
भूरू तैं स्यू बाग लीगी, बाखरा हाटगा खाण मां।।
भूरु स्वामी भक्त भौत थौ, बड़ू मददगार थौ।
चुस्त-फुर्ती वाळू भूरू, सैरा गौं कू चौकीदार थौ।।
पर्बी कू बग्त थौ स्यू, सुबेर की बात थै।
ह्यूंलु स्यू लग्यूं थौ तबरी, अजौं आधी रात थै।।
हल्ला मची सैरा खोळा, भूरू सन्नै बाग लीगी।
कथैं लीगी कख लीगी,आमा डाळा नीस लीगी।।
बुढ्या ज्वान सभी उठने, गौं की सब्बी बुआरी मारी।
भूरू सन्नै बाग लीगी, तखी बेड़ गौं नीसै सारी।।
थोड़ा टैमो हल्ला ह्वै, वैका बाद सब सुन्न ह्वैगि ।
आज स्यू देखदा देखदी,भूरू स्वर्गवास ह्वैगि।।
भूरु तैं स्यू बाग लीगी, बकरवाळी बगाण मां।
भूरू तैं स्यू बाग लीगी, बाखरा हाटगा खाण मां।।
✍️ हरपाल सिंह भण्डारी
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बेमौसमी बारिश
किसी का इधर डूबा, किसी का उधर डूबा।
किसी का खेत डूबा, किसी का घर डूबा।।
तड़फती दिखी कई जिन्दगियां यहां।
बिलखते दिखे वो मासूम जिनका डूब चुका था जहां।।
पूरी रात ये मेघ तेज गरज के साथ बरस रहे थे।
अमीर इस ठंडी रात में चैन की नींद सो रहे थे।।
बढ़ती ठंड और झमाझम बारिश से समय बढ़ाया गया मैखाने का।
दूसरी तरफ छलकते रहे आंशू और छत टपकता रहा उस गरीब के आसियाने का।।
✍️ हरपाल सिंह भण्डारी
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काफी समय बाद दिल्ली से पहाड़ आया हूं,
मौसम के साथ कुछ यूं अटखेलियां खेल रहा हूं।
बारिश के मौसम में अन्दर बैठना भी अच्छा नहीं,
जंगले के किनारे बैठकर मौसम के मजे ले रहा हूं।।
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