साईली राणे   (साईली)
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Joined 20 January 2019


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15 APR 2024 AT 0:20

छोटी सी जिंदगी हैं
हर पल जी लो
न जाने कब गुजर जाती हैं
और सिर्फ जीने की चाहत रह जाती हैं

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15 APR 2024 AT 0:16

महसुस करो इस लम्हे को
न जाने फिर से मिले ना मिले
यह लम्हा गुजर जाये तो
अफसोस करने का मौका भी ना मिले

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13 APR 2024 AT 2:06

रात मुश्किल से गुजरती हैं
'तेरी यादो के सहारे
दिनभर तो आँखे नम होने के
ढुंढती रहती हैं कोई बहाने

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11 APR 2024 AT 17:51

ईद का चाँद देखा तो
सबका चेहरा खिल गया
खुशीया बाटने लगे सारे तो
शिरकुरमा से मूह मिठा हो गया

मुबारक हो आप सबको ये ईद
जिसने लायी खुशीया अनगिणत
चाँद की तरह बाटो उजियाला
कर दो सपने पुरे सबके आज के दिन

खुशहाली हर एक घर मे आई
ईद मुबारक आपको ओ मेरे भाई
हर दिन आपका ईद हो
हर खुशीया आपकी चाँद हो

ये दुवा है आज रब से
ईद की खुशी मनाये सब से

@साईली

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22 OCT 2021 AT 12:02

चेहरे खरे कधी दिसतच नाहीत
कारण त्यावर चढवलेत मुखवटे
मतलबी ,स्वार्थी ,अप्पलपोटेपणाचे
मुखवटे एकदा का पडतील निसटून
त्यानंतर जो राहील तोच खरा चेहरा असेल.
निस्वार्थी भावनेचा, आपुलकीचा

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8 JAN 2022 AT 12:40

तुझ्या आठवांचा शहारा येताच क्षणी
मन पुन्हा भूतकाळात रमते
आठवणींच्या कुपीत जपून ठेवलेल्या
एकाएका क्षणाला पुन्हा जगून जाते


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2 NOV 2021 AT 14:36

एक नजर तू देखे अगर
तो जान न्योछावर कर देंगे
नजरो मे 'तेरी खो जाकर
अपने आप को तुम्हारे हवाले कर देंगे ।।

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22 OCT 2021 AT 12:08

हमारी जिंदगी हैं रात जैसी
जिसकी सुबह तो जरूर होगी
लेकिन सुबह की रोशनी देखने के लिए
रात का अंधेरा पीना जरुरी हैं।
उसी तरह जिंदगी मे सुख पाने के लिए
दुःख झेलना भी जरुरी होता हैं।

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20 JUL 2021 AT 9:13

भक्तांची ही वारी। निघाली पंढरी।
तुळशीचे हार। घालूनिया।।

विटेवरी उभा।माझा विठुराया।
कर कटावरी। घेऊनिया।।

रंग हा सावळा।भरे संतमेळा।
भक्तीने भारून। संतांचिया।।

विठाई ही माझी।सोबती रे तुझी।
उभी सोबतीला। विठुराया।।

महिमा भक्तीचा। निर्मळ मनाचा।
जागला तयांच्या। मनी हा रे ।।

टाळ मृदुंगाचा। नाद आसमंती।
वारी पंढरीची। निघालो मी।।

विठ्ठल विठ्ठल। बोला हो विठ्ठल।
जयघोष तुझा। होत असे।।

नामात दंगलो । नृत्यात रंगलो ।
भेटीस तुझ्या रे। आसुसलो।।

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30 MAY 2021 AT 0:10


जब हर कोई खुले हवा में
सांस ले रहा था

और अब


जब हर कोई खुले हवा के लिये
तरस रहा हैं।

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