साहित्य पर चर्चा🖋️   (साहित्य पर चर्चा)
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Joined 2 January 2020


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न हारा हैं अमन न ज़िंदगी ठहरी हैं
आंसू बह रहे है इम्तेहान चल रही है
ज़िंदगी बचा के रख तू अपना गम
मेरे पास कहा गम की कमी हैं

~aman

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अपनी कलम बेच दी क्या
क्या करता
उसमें स्याही भी डलवानी थी..!

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हालतों से जो घबराया है,
कहाँ वो जीत पाया है।
गिर गिर कर भी , जो खड़ा है,
यक़ीनन वो जीता है।।

~ कैलाश हीराणी

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क़लम जैसे ही
लिखने को उठती है,

ग़ज़ल से पहले
एक तस्वीर की ओर
मुड़ जाती है।

~ कैलाश हीराणी

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"वक्त बदल गया है...
अब बेटियां नही ,
बेरोजगार लड़के माँ बाप के
कंधों का बोझ हैं.।"

~ जैकी यादव

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ये न बोलो कब होगा..
धीरे धीरे सब होगा..!

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जब आप अपनी माँ की आँखों में देखते हैं
तो आपको पता चलेगा कि
यह इस धरती पर मिलने वाला
सबसे शुद्ध प्रेम है।

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उम्मीद का जन्म ,
प्रेम से होता है

और प्रेम की मृत्यु,
उम्मीद से ।

~ आलोक (गीत)

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जिंदगी हे
तो अध्याय भी होंगे
कुछ श्याह तो कुछ रंगीन होंगे

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इतनी फुऱसत है किसे आज के जमाने में।
वक्त बहुत लगता है बीती बातें दोहराने में।

जिन्दगी के सफर में जब नये लोग मिल जाते हैं
तो देर कहाँ लगती है बिछड़ों को भुलाने में।

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