हाँ अपनी मोहब्बत का इज़हार नही करती
ऐसा नहीं है कि मैं उसे प्यार नही करती
उसे पाने से ज़्यादा खोने से डरती हूँ
यूँ उसके हर इज़हार पर मैं इनकार भी नही करती
हाँ बस अपनी मोहब्बत का इज़हार नहीं करती
उसी से है मुझे मोहब्बत बस ये इक़रार नही करती
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— % &Irritating someone : your Talent??
Bestie :— % &
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फ़क़त मुलाकातें और बातें ही तन्हा शय नही क़राबत की
इश्क़ की गहराई महज़ लफ़्ज़ों से नही मापी जा सकती-
गुलों से उम्दा महक़ उनकी साँसों की इसे क्या ख़िताब दूँ
गुलकंद से शीरींअंदाज़े-अदा को किस शय से नवाज़ दूँ
उनका मुस्कुराना जैसे गुलाब का खिल जाना , जो ख़ुद है गुलाब से अपने उस गुलाब को आख़िर क्या गुलाब दूँ-
धरा पर रहकर भी स्वर्ग का अनुभव करते है
भाग्यशाली है वास्तव में हम की हम भारत में रहते है-
तिज़ोरी में कोई ज़ेवर-दौलत नहीं; मख़मली एहसास सँवार रखा है
क़िताब में तुम्हारा दिया वो गुलाब अबतक संभाल रखा है-
अजब हिसाब है जिंदगी का भी जो मिला उसकी न थी ख़्वाहिश
और जिसकी तलब होती वो हमेशा ही रहता ला-हासिल-
बेबसी का वो आलम भी सबसे ग़म-ज़दा होता है
जब बोलना बहुत कुछ चाहते है पर चुप रहना ज़रूरी होता है-