जन्मदिन की अनंत शुभकामनाएं
"माधव प्रेमिका"🌺🌺-
गुलों से उम्दा महक़ उनकी साँसों की इसे क्या ख़िताब दूँ
गुलकंद से शीरींअंदाज़े-अदा को किस शय से नवाज़ दूँ
उनका मुस्कुराना जैसे गुलाब का खिल जाना , जो ख़ुद है गुलाब से अपने उस गुलाब को आख़िर क्या गुलाब दूँ-
धरा पर रहकर भी स्वर्ग का अनुभव करते है
भाग्यशाली है वास्तव में हम की हम भारत में रहते है-
तिज़ोरी में कोई ज़ेवर-दौलत नहीं; मख़मली एहसास सँवार रखा है
क़िताब में तुम्हारा दिया वो गुलाब अबतक संभाल रखा है-
अजब हिसाब है जिंदगी का भी जो मिला उसकी न थी ख़्वाहिश
और जिसकी तलब होती वो हमेशा ही रहता ला-हासिल-
बेबसी का वो आलम भी सबसे ग़म-ज़दा होता है
जब बोलना बहुत कुछ चाहते है पर चुप रहना ज़रूरी होता है-
जब ख़ुद की रूह को किसी और में महसूस करने लगो तब होता है इश्क़
जब आपकी रूह किसी की इक मुस्कान से खिल जाए वो होता है इश्क़
जब उन्हें ख़ुद में इस क़दर बसा लो कि उनका अक़्स तुम्हारा दर्पण बन जाए तो वो होता है इश्क़
हाँ जब सबकुछ उनसे शुरू और उनपर ही ख़त्म तब वो होता है इश्क़
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साँसों की सरगोशियां लबों की जुम्बिश मिलने की बेक़रारी धड़कनों की लरज़िश बेहद लाज़मी रवायतें है
फ़क़त नज़रों का मिलना ही तो इश्क़ नही होता-
शम्स-ओ-क़मर में वो ताब कहाँ जो आपके जमाल में है
किसी नज़ारे में वो सुकूँ कहाँ जो नज़रे-विसाल में है-