क्या पता दास्तां इश्क़ की बस अधूरी सुनी हो हमने
मुकम्मल इश्क़ भी शायद इतना शोर नहीं करता.-
साहिब | Saahib
(©Saahib)
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Joined 5 July 2019
12 JUL 2024 AT 3:57
10 JUN 2023 AT 20:57
तो बस मौन हो कर वहीं बैठ जाना
और इंतज़ार करना मेरा
जब तक कि मैं पढ़ न लूं तुम्हारे मौन को,
भर न लूं तुम्हें अपनी बाहों में
और छलक न जाने दूं मोती सागर से
जिन पर लिखा होगा तेरे मौन का जवाब
उसी सहज मौन रूप में
जिसे सहेजते रहे हो अब तक अपने
आंचल के कोरों में तुम..।-
21 AUG 2022 AT 23:55
कहते हो, मैं छोड़ भी दूँ फ़िक्र... मग़र कैसे ?
मेरी शब-ए-दैजूर का इकलौता मशाल तुम हो-
10 MAY 2022 AT 16:23
अब नहीं पड़ती है खलल
मेरी नींद में
न ही अंतर्मन में
अब उपस्थिति खलती है-
4 JAN 2022 AT 12:15
you've no idea to get out of it..
at its worst
'coz it's gonna be toxic then.-
8 SEP 2021 AT 15:49
अच्छे अच्छों को पहचाना है
मैंने भीड़ में भी
पारखी नज़रे हैं जनाब
धोखा नहीं खाती-