आज मन क्यूँ बेचैन सा है,
ना कुछ उमंग है,
ना कोई तरंग है।
लहु में जो बेचेनी की आग है,
वो कसक जो मेरे अन्दर सुलग रही है,
जो समुंदर के नीर से बुझाये नही बुझती।
बस, अब उस धारा की तलाश है,
जो जटिल चाटनो को चीर कर
नई दिशा की ओर ले चले।
--ए-दिन-ए-मुश्किल
(COVID-19)-
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ना सोच उस शोर में
अकेलापन भी मेहसूस होगा,
हर आवज मेहसूस होगी,
पर तेरे लिये एक ना होगा।
रास्ते होगे सामने अनेक,
पर तेरा एक ना होगा ।
इन शांत समंदर में उठे सैलबों के बीच,
डगमगाते माझी को किनारे की आस है।
मंज़र है करीब,
पर मुश्किल-ए-दीदार।
उड़ना है खुले आसमनो में,
बस परों की एक ख्वाईश है।
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ना जाने क्या खेल है ईस जिंदगी का,
रिश्तों से भरा ये मैदान है,
और शौहरत जीत है।
दिल मे पानी का सैलाब है,
और ईन आखो मे किनारे की प्यास।
जाना तो बोहत दूर,
पर दस्तुर-ए-कब्रिस्तान।
ख्वाहिस है तारो को चूमने की,
पर कम्बखत रिश्तों के,
मैदान मे ऐसा खोया हू
जीना भी जल के है
और जाना भी जलके है।-
जिंदगी नाराज़ मत हो,
अब बात सिर्फ चंद लम्हो की है,
जब से आखें खोली,
हर लम्हा तुझे सवार्ना चाहा,
और हर एक लम्हे में,
ईन बेरहम उलझनों कुछ ऐसा उलझाया,
की अब जिंदगी कुछ लम्हो की......,
.....ए जिंदगी नाराज़ मत हो।-
धीरे धीरे ही सही,
निगाहें मिलने लगे,
धीरे धीरे ही सही,
मुस्कराहट बाटने लगे,
धीरे धीरे ही सही,
जिक्र होने लगे,
धीरे धीरे ही सही,
कदम साथ चलने लगे,
धीरे धीरे ही सही,
कुछ आहत सी मेहसूस हुई
धीरे धीरे ही सही...-
बादलो ने जिस तरह चांद को घेरा है,
तडप है चकोर को,चांदनी की।
दोनो की बेताबी को,
लगे ईक लम्हा, सदियों जैसा।
चकोर को चांदनी के मिलन की आरजू,
ना जाने कब पूरी होगी।
अब तोह बस इंतज़ार है बादलो को
उन हवाओ का......
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તારા પ્રેમ ના પારણં મા,
આ આંખો હવે વિરામ માંગે છે।
નાં પૂછેલા પ્રશ્નો માટે,
હૃદય મા આશ્રય માંગે છે॥
તારી આતુર આંખોને
તારા હૃદયના,
નાં મળેલા જવાબની આતુરતાથી રાહ છે,
વિરામ મળશે યા પૂર્ણ વિરામ લાગશે।
- બોલતી આંખો.-
तेरे आने से जीवन और रंगो से भर चुका है।
पता ना था खुशी का मतलब,
पर जब देखा तुझे पेहली दफा,
लगा जैसे आस्माँ छू लिया हो।
तेरे आने से,
जब जब चोट लगी तुझे,
खून मेरी आखों से आया।
जब जब खाना तुने खाया,
डकार मेने खाई।
जब जब भुखार तुझे आया,
रूह और जिस्म मेरी ठंडी हुई।
तेरे आने से लेकर,
तेरी हर उस मुस्कुराहट मे,
तेरे उस पहले शब्द मे,
तेरे उस हर एक पल मे, मेने हर पल खुद्को पाया है।
-पिताह
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ये आखों का भी जवाब नही,
है दो,
पर दिखाती निन्यानवे चीझे गलत ही
और एक आछाई आखों से छुट जती है।
-कम्बखत दो आखें।-
Parents 'DIVORCE' is nothing other than seeing a Child 'DYING WORSE'.
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