मैं उससे मोहब्बत करता हूँ, दिल-ओ-जान से करता हूँ, हमेशा करता रहूँगा, तमाम उम्र करता रहूँगा. उसे हमेशा इस बात का गुमान रहेगा, कि हिन्दुस्तान के किसी शहर में, एक पागल सा लड़का रहता है, जो उस पर दिल-ओ-जान से मरता है, उससे मोहब्बत करता है, बे-पनाह मोहब्बत करता है. मगर मोहब्बत के बदले मोहब्बत माँगता नहीं है. मैं उससे कभी अपने हिस्से की मोहब्बत मांगूंगा नहीं, मैं सिर्फ उसे मोहब्बत दूंगा. देना मेरे बस में है, तो मैं दूंगा. मुझे उससे मोहब्बत मांगने की ज़रूरत नहीं है. मैं आशिक़ हूँ, कोई व्यापारी नहीं, जो मोहब्बत के बदले में मोहब्बत मांगूं, और उससे कहूँ, कि मैं तुमसे मोहब्बत करता हूँ, तो तुम भी मुझसे मोहब्बत करो. मेरी मोहब्बत के बदले में मुझे मोहब्बत दो. मैं मोहब्बत में सौदेबाज़ियाँ नहीं करता, मोहब्बत में सौदेबाज़ी करनी भी नहीं चाहिए. मोहब्बत में सौदेबाज़ी गुनाह है, और सच्चे आशिक़ गुनाह नहीं करते, वो सिर्फ मोहब्बत करते हैं, अपने यार से वफ़ा करते हैं, तमाम उम्र वफ़ादार रहते हैं. बस मैं भी यही करूँगा, क्योंकि मेरी ज़िंदगी में बस एक ही चीज़ है, और वो है, मोहब्बत, मोहब्बत, मोहब्बत..!
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