मेरा साहस, मेरी इज्जत, मेरा सम्मान है पिता,
मेरी ताकत, मेरी पूंजी, मेरी पहचान है पिता.....-
वो जो उठाते हैं मेरे किरदार पर उंगलियाँ,
उनको तोहफे में "आइना" जरूर मै दूँगा....-
सबकुछ हमें खबर हैं , नसीहत न दीजिये,
क्या हुआ हम खराब है तो जमाना भी तो खराब है.....-
कौन क्यों ? चला गया ये जरूरी नहीं हैं,
क्या सिखा कर गया ये जरूरी हैं.....!-
लोग तौल देते हैं चंद बातो पर किरदार मेरा,
बारी अपनी हो तो उन्हें तराजू नही मिलता.....-
जानते हुए भी अंजान बनती हो,
इस तरह मुझे परेशान करती हो,
पूछती हो मुझे क्या पसंद है
जवाब खुद हो फिर भी सवाल करती हो....-
मिल ही जाएगा कभी दिल को यक़ीं रहता है,
वो इसी शहर की गलियों में कहीं रहता है।
इक ज़माना था कि सब एक जगह रहते थे,
और अब कोई यहीं तो कोई कहीं रहता है.....-
मैं धनावेश तुम ऋणावेश चलो धारा का संचार करें,
विद्युत क्षेत्र बनाएं अपना,तनिक तनिक विस्तार करें।
बंद पाश होगा घर तेरा, गाउस नियम लगवा दूंगा,
अमीटर लगवा करके,प्रतिरोधों को हटवा दूंगा, बहुत फाल्ट होता है मुझसे चलो फ्यूज निर्माण करें,
मैं धनावेश तुम ऋणावेश चलो धारा का संचार करें,
धारा से ना काम बने तो चुंबकत्व का गुण अपनाएं,
दोनों रेखा खींच खींच कर चुम्बक बल रेखाएं बनाएं,
क्यूरी ताप पर ना पहुंचेगे, ऐसा कोई उपचार करें,
मैं धनावेश तुम ऋणावेश चलो धारा का संचार करें।।
----Mishra_Manish-