चर्मोत्कर्ष का एहसास ही वो एहसास है जो जब महसूस होता है तो खुद का भी एहसास नहीं रहता
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डिजिटल वर्ल्ड में बस Erotic ... read more
जिस तरह दूध में शामिल
मक्खन का वजूद है
उस तरह वो मुझमें मौजूद है
गर उसको पाता हूं
तो खुद से जाता हूं
गर खुद को पाता हूं
तो तन्हा रह जाता हुं-
क्या वो जमाना अब भी मौजूद है जब मोहब्बत खुद में ही अंदर से टूट जाती है
देखता हूं आज मैं जब चारों तरफ तो मोहब्बत नए साथी की तलाश में
अपने दिल से चाहने वाले साथी को ही लुट जाती है
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पत्थर ही पत्थर भर दिए मेरे वजूद में
जिंदगी अब तेरी हसरत में
कहां रहूं मौजूद मैं-
जब संस्कारों की अति मानसिक अवसाद का कारण बनने लगे
तो थोड़ा सा इरोटिक हो कर देखो
अच्छा महसूस करोगे
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कितना भी अहसास करा लो
उसको अपने दिल के जज्बातों का
एक पल में वो सब कुछ भूल जाता है
दिल को कोई कीमत नहीं उसकी नज़र में
जिस्म की हसरत में वो सारी हदें भूल जाता है-
बहुत खूबसूरत होता है
वो लम्हा
जब ’मैं’ और ’तुम’
जुड़ कर ’हम: हो जाते है।
हम दोनों के वजूद
उस लम्हे में
एक दूजे में खो जाते है।
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