सिद्दत-ए-मोहब्बत की बातें न पूछ
ये इश्क बस धुएं का नजारा है
मेरे दोस्त ! जिन गलियों की तुम अर्जी दे रहे हो
उन गलियों में हमने सदियां गुज़ारा है-
तू पा ले मुझे , ये तेरी किस्मत नहीं .... ।।
एक तू ही साथी है तन्हाई की
साथ तेरे ! ओ तन्हाई मेरे
हर सफर यूंही कट जाएगी-
कमी तालाश न कर खुदमे तू
चंद में भी दाग है
झोंक दे खुदको न सोच इतना
ये दुनिया एक आग है
हौसले हैं लोहे सी बुलंद तो
हतियार बन के तू निखरे गा
जो दर गया एक पल के लिए भी
तो राख बन के तू बिखरे गा-
राहों में वाकई ही कांटे हैं या खुदा ने बिछाया इन कांटों को
न जाने खुदा हमसे खफा है या किस्मत ही हमारी मारी है
एक पल का वक्त नहीं मिल रहा हमें खुद से बातें करने को
सुबह से लेकर सुबह तक हर पल जिंदगी की तलाश जारी है-
जो कुछ भी कौशल है मुझमें
वो, नीलाम हो रहा बाजार में
वक्त को अपने बेच दिया है
चंद पैसों की पगार में
सैर करना था दुनिया सारा
जिस उम्र में हम जिम्मेदार हुए
बस खुदा से ये एक दुआ है
मेरे हालात वो सुधार दे-
हर सपने बचपन के यहां से धुंधले दिखते हैं
जिंदगी की जिस मुकाम पे हम है, वहां सब बिकते हैं
घर के अकेले बेटे हैं, सब संभालते हैं अकेले
लगता है जिंदगी के जंग में हम कायर निकले-
आसमान की उड़ान तुम भर लो
हम ज़मीं पे ठीक हैं
पंख हो न हो पर
तेरे हालात ठीक हैं
घर संभालने की अब उम्र हो गई है मेरी, और
ठहरे हुए लोगों ने नसीहत दी है
जिंदगी की दौड़ में भागते रहना ठीक है-
ज़रा वक्त मिले तो खुदसे गुफ़्तगू कर लूं
कुछ अपनी कहूं, कुछ खुदकी सुन लूं
जिंदगी रुकी नहीं और अब वक्त आया है
अरमानों को अलविदा किए, में जिम्मेदारी चुन लूं-
अब तक पापा ने संभाला है मुझे
अब व उम्रदार होने लगे हैं
हम घर के लड़के हैं जनाब
अब हम जिम्मेदार होने लगे हैं-
कल का दिन अच्छा होगा ...
इस झूठे दिलासे में रात गुजर जाती है ...!
तुम क्या समझोगे खुदा ...
नाकामयाबी में जिंदगी कैसे बिखर जाती है ...!-