सावन में बरसती फुहार
मिलके हवा के साथ
जब गिरती है पंखुड़ियों पर
उभर आती है एक तस्वीर जैसे
किसी मंदिर के चबूतरे पर बैठ
दो सखियां बतिया रही हो
हंसते खिलखिलाते हुए
मन के सुराख में
घुस कर अचानक
कोंधते ऐसे ख्याल
जगा देते है लड़कपन
👰 भटनेर की राजकुमारी 👰-
You..
Come
In the shadow of the evening...
Maybe...
this evening
Our story..
Be colorful,
Be pleasant
Let we Love..
Like..
The night
Be pleasant
in each other's arms
And..
Some lovely things
Happens
between us
Come instantly...
In the shadow of the eve.-
हम भूल जायेंगे इक रोज़;
वो सारे बलिदान..
वो वात्सल्य..
जो वो बिना किसी शर्त ,
लुटा रहे हैं
खुले हाथो से
सिर्फ हमारी मुस्कान की खातिर
और हम खुदगर्ज,
शायद कह देंगे इक दिन
की आपने तो बस फ़र्ज़ निभाया
हम बस कृतघ्न बने,
दबे रहेंगे ताउम्र पितृऋृण तले..!
-
यह युग कविता का नहीं, लतीफों का है!
गीतों का कोई मोल नहीं आंकेगा
करुणा में इतना व्यर्थ कौन झांकेगा
फूहड़ मजाक तक अगर न तू उतरा, तो-
सड़कों पर बिखरी हुई धूल फांकेगा
तुझको प्रकाश में आना है यदि भाई
छिछले पानी में तैर, छोड़ गहराई
यह युग कविता का नहीं, लतीफों का है!
-
Hi Dad !
I want you to know that you are...
The HARNESS to my ROCK CLIMBING..
The PARACHUTE to my PARAGLIDING..
The COMPASS to my Jungle ADVENTURES..
#Thanks Dad💝
For being my constant support in this journey of life..-
"The death and I"
By TheCritics
Oh dear death, adore me, when
I am young! For, I, wish them remember me a youth Skin void of stale and bones, with zest still clung.
Let wither inside never face their
ruth.
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Oh dear death, claim me, before I turn uncouth!
Let me be loved and never be devoid.
Ardent desire held high, and the
Untruth.
Be burnt; let me have bareness ever destroyed.
Oh dear death, take me when peak is enjoyed!
Let me be source of hope, but not despair
But never a 'man' who failed and lost somewhere.
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Let them see, 'man', who fought for change deployed.
Oh dear death, rescue me; bless peace with care
I wish to go with belief kept and shielded
That land of equals', is soon to be there.
That caste and class will soon be shed and yielded.
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Oh dear death, grant me,
'you' ; with sickness sever
Grant 'glory', and embalm me high forever.-
तुम जब आओगी तो खोया हुआ पाओगी मुझे
मेरी तन्हाई में ख़्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं
मेरे कमरे को सजाने की तमन्ना है तुम्हें
मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी नहीं..
🖊️ सोलंकी साहेब..
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शहर कि एक अमीरजादी💫 को कल इन आँखों से मैने देखा था, ठीक उसी वक्त मुफलिसी ने मेरी हंसकर मेरा मिजाज़ पूंछा 👋 था..।
जब तुम से यूं इत्तेफ़ाकन मेरी नज़र🥸 मिली थी,
अब याद आ रहा है, शायद वो जनवरी थी।
तुम यूं मिली दुबारा✌️, फिर माह-ए फ़रवरी में,
जैसे कि हमसफ़र हो तुम राह- ए- जिन्दगी में।
कितना हसीन समां आया था मार्च लेकर,
राह- ए- वफ़ा पर थी तुम वादों की टॉर्च🔦 लेकर।
बांधा जो अहद-ए- उल्फ़त अप्रैल चल रहा था,
दुनियां बदल🛰️ रही थीं, मौसम बदल रहा था।
लेकिन 👉 मई 🌄 जब आई जलने लगा जमाना,
हर शख्स की जुबान पर था बस यहीं फ़साना🖊️।
दुनियां के डर से तुमने बदलीं थी जब निगाहें😶🌫️,
था जून ☀️ का महीना लबो पर गर्म 🔥 आहें।
जूलाई में जो कि तुमने बात-चित कुछ कम,
थे आसमान पर बादल आँखें मेरी पुरनम 🥺।
माह-ए-अगस्त में जब बरसात हो रही थी,
बस आंसुओं की बारिश🥲 दिन- रात हो रही थी।
कुछ याद आ रहा था वो माह था September,
भेजा था तुमने 👈👉 मुझको करके वफ़ा का Letter 💌।
तुम गैर हो रही थी अक्टूबर आ गया था,
दुनियां बदल 🛣️ चुकी थीं मौसम बदल ☁️ बदल चुका था।
आख़िर नवम्बर में ऐसी भी रात 🌌 आई,
मुझसे-तुम्हें छुड़ाने सजकर बारात आई।
बेखौफ था दिसम्बर जज़्बात मर चुके थे,
मौसम था सर्द अरमान बिखर🙅 चुके थे,
लेकिन ये क्या बताऊं अब हाल दूसरा है,
वो साल दूसरा था ये साल दूसरा है।
अरे वो आदमी दूसरा था मैं आदमी दूसरा हुं 😄।-
इतनी बड़ी दुनिया में, जो कुछ भी दृश्यमान है,
मुझे नहीं लगता, माँ से अधिक कोई बलवान है!
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अभी गनीमत है सब्र मेरा,
अभी लबालब भरा नही हूँ
वो मुझको मुर्दा समझ रहा है,
उसे कहो.... मैं मरा नही हूँ!
#MSDhoni𓃵-