S.Avnii Sharma   (S_Avnii sharma)
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Joined 29 December 2018


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Joined 29 December 2018
26 FEB 2022 AT 13:54

कोई नज़र आया तो कोई नज़र से उतर गया,
कभी कभी तो लगता है तन्हा ही ठीक है,
साथ रहे तो क्या संभला, सब कुछ बिखर गया

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26 FEB 2022 AT 12:22

जख्म है लाखों, कुछ खता नहीं,
कि जी रहे मन मारे एक अरसे से,
मौत यही तो है और पता नहीं

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26 SEP 2021 AT 19:26

दंग रह गए,
रवैया लोगो के बदलने से
फिके सारे रंग रह गए!

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23 SEP 2021 AT 17:51

पर मैं बाज़ हूँ!!
चुप रही तो क्या??
तुमने समझा" बेआवाज़ " हूँ!!

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20 SEP 2021 AT 19:40

मुझे सब कुछ दिखता है,
चन्द पैसों की खातिर
इंसान का ज़मीर बिकता है!!

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16 SEP 2021 AT 22:45

आसमाँ ओढ़ लिया करते है,
पूरी रात फुट पाथ पर,
कुछ बच्चे " सोया करतें हैं "

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12 SEP 2021 AT 20:44

"बिन मौसम बरसात, अमावस् घनी रात,
ठण्ड की ठिठुरन, तर बतर मन "
मिलन की आस,खुशियों की सौगात!!

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11 SEP 2021 AT 19:16

"ब्याह उससे रचाया भी नहीं जाता है'
बस एक के रहते दूसरा यार लाया जाता है!!

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3 SEP 2021 AT 22:59

विराम
भोर से शाम...
जिम्मेदारियां और थकान...
रात है "आराम"

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2 SEP 2021 AT 23:05

आलमिरा के एक कोने में,
किताबों के पीछे,
रखी डायरी में पन्नों के बीच दबे
यूँ तो सूखे मगर ज़हन में ताज़ी यादों के
फूलों वाले गुच्छे...

और कुछ पैसे ज़ेवरों
को गुमां हो रहा
आलमिरा उनके हिफाजत की खातिर है!


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