कोई नज़र आया तो कोई नज़र से उतर गया,कभी कभी तो लगता है तन्हा ही ठीक है,साथ रहे तो क्या संभला, सब कुछ बिखर गया -
कोई नज़र आया तो कोई नज़र से उतर गया,कभी कभी तो लगता है तन्हा ही ठीक है,साथ रहे तो क्या संभला, सब कुछ बिखर गया
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जख्म है लाखों, कुछ खता नहीं,कि जी रहे मन मारे एक अरसे से,मौत यही तो है और पता नहीं -
जख्म है लाखों, कुछ खता नहीं,कि जी रहे मन मारे एक अरसे से,मौत यही तो है और पता नहीं
दंग रह गए, रवैया लोगो के बदलने सेफिके सारे रंग रह गए! -
दंग रह गए, रवैया लोगो के बदलने सेफिके सारे रंग रह गए!
पर मैं बाज़ हूँ!! चुप रही तो क्या?? तुमने समझा" बेआवाज़ " हूँ!! -
पर मैं बाज़ हूँ!! चुप रही तो क्या?? तुमने समझा" बेआवाज़ " हूँ!!
मुझे सब कुछ दिखता है, चन्द पैसों की खातिरइंसान का ज़मीर बिकता है!! -
मुझे सब कुछ दिखता है, चन्द पैसों की खातिरइंसान का ज़मीर बिकता है!!
आसमाँ ओढ़ लिया करते है, पूरी रात फुट पाथ पर, कुछ बच्चे " सोया करतें हैं " -
आसमाँ ओढ़ लिया करते है, पूरी रात फुट पाथ पर, कुछ बच्चे " सोया करतें हैं "
"बिन मौसम बरसात, अमावस् घनी रात, ठण्ड की ठिठुरन, तर बतर मन "मिलन की आस,खुशियों की सौगात!! -
"बिन मौसम बरसात, अमावस् घनी रात, ठण्ड की ठिठुरन, तर बतर मन "मिलन की आस,खुशियों की सौगात!!
"ब्याह उससे रचाया भी नहीं जाता है'बस एक के रहते दूसरा यार लाया जाता है!! -
"ब्याह उससे रचाया भी नहीं जाता है'बस एक के रहते दूसरा यार लाया जाता है!!
विराम भोर से शाम... जिम्मेदारियां और थकान... रात है "आराम" -
विराम भोर से शाम... जिम्मेदारियां और थकान... रात है "आराम"
आलमिरा के एक कोने में, किताबों के पीछे, रखी डायरी में पन्नों के बीच दबे यूँ तो सूखे मगर ज़हन में ताज़ी यादों के फूलों वाले गुच्छे... और कुछ पैसे ज़ेवरोंको गुमां हो रहा आलमिरा उनके हिफाजत की खातिर है! -
आलमिरा के एक कोने में, किताबों के पीछे, रखी डायरी में पन्नों के बीच दबे यूँ तो सूखे मगर ज़हन में ताज़ी यादों के फूलों वाले गुच्छे... और कुछ पैसे ज़ेवरोंको गुमां हो रहा आलमिरा उनके हिफाजत की खातिर है!