रवि 💞 कल्पना राजपूत 🔵   (रवि की कल्पना 💞)
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मेरी कलम की पकड़ सिर्फ,
एक इंसान के हाथ मे है।
वो हैं मेरी कल्पना,
जो मेरे साथ मे हैं।।
Joined 22 April 2018


मेरी कलम की पकड़ सिर्फ,
एक इंसान के हाथ मे है।
वो हैं मेरी कल्पना,
जो मेरे साथ मे हैं।।
Joined 22 April 2018

बारिश की बुँदे, इस सावन मेरे आँगन में गिरी थी।
उसके दिल में, मेरे लिए दिल्लगी फिर से लगी थी।।

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बिना रंग के होली क्या है,
तितली भी बोले ये रंग क्या है।
अपने भीतर श्याम रंग,
यही रंग है तू रंगजा इसमें।।

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कुछ इसतरह से जिन्दगी को संवारा है मैंने।
बस एक तुम्हें, चाहा है मैंने, चाहा है मैंने।।

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छोड़ दिया हर रिश्ता हमनें,
उसकी एक चाह की खातिर।
याद बहुत आए फिर रिश्ते, जब टूटी चाह,
नींद खुली रिश्तों की खातिर।।

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एक तुम्हारी चाह में हमनें, ना जाने कितने दिलों को तोड़ डाला।
टूटे हुए एक दिल को जोड़ने की खातिर, अपना दिल भी तोड़ डाला।।

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अपनों का सँग, अपनों की यारी मिले।
नए साल पर शुभकामनाए ढ़ेर सारी मिले।।

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सच में संग रहने की आदत सी हो गई है।
आज दूरियों ने फिरसे सच से वाकिफ कराया है मुझे।।

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लोग कहते है कि तुमनें खो दिया उसे।
मैं तो कहता हूँ कि
तुम्हें खोकर
सच में पा लिया हो मैंने।।

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अगर हैं इश्क, तो आकर बात कर मुझसे।
पास हो कर भी, क्यों नजरें चुराते हो मुझसे।।

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बस तुम हो तो मैं हूँ,
तुम मेरी नही तो भी, मैं हूँ।
तुम्हारा होना जरुरी है, मेरे लिए
जब तक मेरी साँसों में हो तुम।।

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