रवि एस.   (रवि एस.)
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लिखते नहीं है लेकिन कुछ शब्दों को सजो देने का हुनर रखते हैं
Joined 4 August 2021


लिखते नहीं है लेकिन कुछ शब्दों को सजो देने का हुनर रखते हैं
Joined 4 August 2021
53 MINUTES AGO

वो जो अपना था
अब और किसी का क्यूं है???

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2 MAY AT 15:35

आओ गले लग जाओ...
ये सुनना ही कितना बड़ा सुकून है

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22 FEB AT 9:02

कभी तो उससे वफ़ा करूं मै
उसकी नज़रों में बसा करूं मै

ऐसा हसीन नशा किया जो
उसमें आखिर जिया करूं मै

नज़रों में बसाकर तुझको
दिल में तेरे रहा करूं मै

देखा तुझे खुदा को देखा
सजदा तेरा करा करूं मै

मगर तुने उतारा नज़रों से
वफ़ा से क्या दगा किया मै

तेरा था 'रवि' तेरा रहेगा
खुद में तुझको भरा करूं मै
रवि एस.

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22 FEB AT 0:58

अब नहीं गुजर रही है ये रातें
मेरी चाह है कि रवि मुझे अपने साथ डूबा ले

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22 FEB AT 0:02

जिस तरह से चांद को
अपने आगोश में
जकड़ लिए है, ये बादल

ठीक उसी तरह से, वो मुझे
अपने यादों के
आगोश में ,जकड़ ली है

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21 FEB AT 1:15

एक उलझा हुआ किरदार हूं मैं
लोग कहते हैं समझदार हूं मैं

खुद की तलाश में खोया हूं मैं
ना जाने किसका तलबगार हूं मैं

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19 FEB AT 1:16

चुभन क्या होती है बताऊं कैसे
दर्द आंखों से जुबां पर लाऊं कैसे

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19 FEB AT 1:03

जिसके हर उकत का अहसास होता है
नाराजगी उसी से होती है जो खास होता है

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18 FEB AT 23:58

देखें बहुत दिन बाद उसे
लेकिन नहीं भरा मेरा दिल
भरी तो केवल मेरी आंखों में आंसू के बूंद

मगर बावली वो नहीं समझी
कर ली मुझसे बैर
हम तो अब आंसू ही लिए रह गये केवल मौन
_ रवि एस.

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15 FEB AT 0:33

दिल की पगडंडियों में आखिर कब तलक फिरता बेचारा
अब खुले गगन में भ्रमण आजाद इश्क तुम्हारा

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