RV RAGHUVANSHI   (#रार_#RR)
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1 JUL 2021 AT 10:27

ये ख्याल भी लाज़वाब है
तेरा अलावा भी किसी का हो जाऊं
ये भी एक ख्वाब है

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21 MAY 2021 AT 0:30

वो फरमाहिश करते रहे इश्क का
और हमे हो गया था
वो औरों को बताना चाहते थे
और हमे, उन्हे बताना रेह गया था

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27 APR 2021 AT 3:27

दूर होना तो लाज़मी था
तू सच नहीं समझती थी
और मैं झूठ ही कहता था
तू इश्क को ज़िंदगी समझती थी
मैं तुझे ज़िंदगी समझता था

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27 JAN 2021 AT 15:30

मैं आसमां में आसमां ढूंढने चला था
मैं नफरतों के बाज़ार में नफरतों का पता ढूंढने चला था
अरे खरीदार ना तो मैं था, ना तो ज़माना था
पर मुनाफे के शोर से उसे बेचने हर कोई चला था

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1 JAN 2021 AT 12:44

हर रोज़ इंसानियत मरती है
जब भी तुम जश्न में होते हो
और ग़रीबी बिन कम्बल
सड़क पर दम तोड़ती हैं

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28 DEC 2020 AT 23:07

तू इस क़दर मेरी आदत में बसती है
मैं हर बार बारिश कहता हूं
तू हर बार काग़ज़ की कश्ती केहती हैं
मैं हर दिन इत्र भूल जाता हूं
तू इस क़दर सौंधी खुशबू दे जाती हैं

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25 DEC 2020 AT 1:05

जब भी गुजरूंगा,
तेरे दीदार को भी तरसुंगा ।
पर सही हमेशा यही करूंगा
की तू इंतज़ार में होगी
और मैं कभी नहीं रुकूंगा

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27 NOV 2020 AT 23:07

दर्द शहर्द में हैं वो
आज शहर में है वो
मिलते नहीं है अब हम
पर रहती आज भी दिल में है वो

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21 NOV 2020 AT 5:35

रात का विसात है
ये एक नई सौगात है
जो शाम को है ढल चुका
वो उग सुबह को है रहा

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13 NOV 2020 AT 2:15

हर आग,है गीला
है हर दर्फ ,दरार
कभी जो , सच की ईंट भी टूटी
तो नई सी खड़ी है झूठ की दीवार है

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