रूह 💕   (रूह💕)
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Joined 13 March 2021


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17 MINUTES AGO

"जादुई दुनिया, रौशनी और एक लड़की का सफ़र"

(- In Caption )

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YESTERDAY AT 13:29

आँचल में जिसके सिमटा है सारा जहाँ,
गोद में जिसके सुकून है हर पल यहाँ।
जिसकी दुआओं से महफूज़ रहती हूँ मैं,
वो फरिश्ता है कोई और नहीं, है मेरी माँ।

थक जाए ये दुनिया, पर थकती नहीं माँ,
मेरे लिए हर दर्द भी वो सहती है सदा।
आँखें नम हों तो पहले पढ़ लेती है माँ,
वो समझती है मुझको मुझसे ज़्यादा यहाँ।

मैं जो कुछ हूँ, उसकी वजह से ही हूँ,
मेरे हर ख्वाब की पहली वजह है तू माँ।
रब ने शायद हर मोहब्बत को समेट कर,
एक नाम दिया होगा और वो नाम है "माँ"।

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9 MAY AT 20:11

तेरे बिना वीरान है दिल का हर दर-ओ-बाम
हर साज़ ख़ामोश है और हर नग़मा बे'नाम

मवद्दत की हाय किसी को ऐसी दुआ ना लगे
हो जाता है आशिक़ हिज्र में बेज़ार सुब्ह-शाम

शुरू होती है दास्तान फिर यादों में जीने की
फिर करता है दिल बयाँ हर दास्तान ए नाकाम

ना उम्मीद-ए-वस्ल हो ना शिकायत सरेआम
हो जाए इश्क़ तलब से पाक-ओ-ज़र-ओ-जाम

इश्क़ तब ना पुछे सबब, ना रखे कोई नाम
बन जाता है फिर ये रूह का बेआवाज़ कलाम

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9 MAY AT 12:22

मैं तो ख़ाक-ओ-ख़शक हूँ, मगर तुझमें जलने की आरज़ू बाकी है,
मयस्सर है तेरी एक चिंगारी भी, मेरे वजूद में तेरी जुस्तजू बाकी है।

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8 MAY AT 11:46

War is when the government tells you who the enemy is. Revolution is when you figure it out for yourself.
-Napoleon Bonaparte

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7 MAY AT 11:48

आंगन का पुर-सुकून गोशाह और एक कलाम
दो प्याली चाय मैं, तुम और सर्द नफ़स-ए-शाम

इंतज़ार-ए-दराज़ का अंज़ाम अब आया इनआम साया-ए-शाना में जी उठा हर तसव्वुर-ए-शाम

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5 MAY AT 18:11

हमने तो चाहा था मोहब्बत में यक़ीन रखेंगे,
तफ़रीक़ ने मगर दिलों को दूर कर दिया।

हर लफ़्ज़ में था प्यार, हर बात में था नूर,
सियासत ने मगर ख़्वाबों को चूर कर दिया।

बाँट दी गईं साँसें भी मज़हब के नाम पर,
इश्क़ को भी तन्हा और मजबूर कर दिया

वो जो कभी साथ चलने की क़समें खाते थे,
तफ़रीक़ ने उन्हें भी मगर गुरूर कर दिया।

हमने बुझाए थे जो नफ़रत के दिए हर रोज़,
वो फिर से जले और शहर को पुर-नूर कर दिया

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4 MAY AT 14:59

ना धर्म का बोझ, ना पाप का डर,
ना मोक्ष की चाह, ना स्वर्ग का सफर।
जो साँस चली, वही एक गीत है,
जो आँख खुली , वही प्रतीत है।

ना आत्मा का मेल, ना पुनर्जन्म का राग,
यह देह ही है अंतिम प्रश्न और उत्तर साफ।
जो मिल गया, वही प्रसाद है,
जो छूट गया, बस एक याद है।

इस धरती का रंग, इस पल का सुख,
इसी में है सब कुछ - ना कोई दुख।
जल जाए जो, वो कभी न फिर आए,
तो क्यों न इस जीवन को गीत बनाए?

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2 MAY AT 11:38

तेरे साँसों की सदा हो, मेरी धड़कन की जुबां,
तेरा पहलू हो जहां, वही मेरा सारा आशियाँ।

तेरे लब से उतरती हर बात हो इबादत सी,
तेरी ख़ामोशी में भी हो मेरी हर शाम जवां।

शब-ए-वस्ल तेरी शबिस्तां में तुझ संग गुज़रे,
तो हर तन्हा पल भी लगे जैसे कोई दास्तां।

ना हो ज़रूरत फिर किसी दुआ की उस पल,
तू पास हो तो मुकम्मल लगे हर इक अरमां।

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29 APR AT 15:45

कीमतें लगने लगीं जबसे मोहब्बत में , हर शय ज़वाल हुई,
इस बज़्म-ए-हस्ती में अब देखो, वफ़ादारियाँ भी पामाल हुईं।

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