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Enclosed into my eyes,
My dreams were shying...
Felt Illogical,
Everything was swaying...
I wish I could fall at a side,
My hesitation with hopes waying..
I don't know where I have landed up,
A tour to explore & story laying..
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आज के कदम अभी संभले नहीं ,
और मैं जैसे कही पीछे छूट चुका था।।
नई महफ़िल में भी सब झूठ है,
लेकिन पुराना जला अब नहीं चाहता था।।
क्या मुक्कमल होगा ये पता नहीं,
मेरी खोजने की ताकत मैं जुटा चुका था।।
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मेरी चीखें जैसे अनसुनी सी हैं,
और उसकी आवाज़ पे मेरा हक़्क़ नहीं।।
उसे सुनने की चाहत न थी,
और मुझे सुनने देता नहीं।।
ये रिश्ते मरते दम जीने के वादे थे या,
मरते मरते जीने के भ्रम तो नहीं।।
मैं सोचता रहा मेरा सच्च कह दू और,
अब वजह देख रहा हूँ तो जैसे उसने अपना सच्च कभी रखा ही नहीं।।
मैं जीता रहा सच्चाई से हरदम,
वो फरेब से था, कभी पूरा नहीं।।
मुझे लगा मैं इंकार कर दु झूठ से,
वो झूठ बनकर रहने कब लगा उसने कभी कहा नहीं।।
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मैं जानता हूँ मुकाम मेरी राहों का,
मगर मेरा निभाना भी जरूरी है।।
मर मिटना तो हर किसी को है,
लेकिन कदम कदम राहों में चलना जरूरी है।।
जान चुका हूँ मैं साजिशें मगर,
तमाशों में भी मेरा किरदार महकता रहे, वो खुशबू जरूरी है।।
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तस्वीरों में रूप सिंगार कर,
इस रूप चौदस पे सजना है।।
बड़ी हो या छोटी,
दीवाली जमकर हमें मनाना है।
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यूँ बार बार उस ही राह पर खड़ा कर देती है ज़िन्दगी,
ये मेरा इम्तिहान है या किस्मत जो मुझपे बरस रहा है?
हाँ, तराश लेना तू ज़िन्दगी हमें हर तरह से,
हमने भी कदम कदम पे, अपना दाँव पूरी तरह से निभाया है।।
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ये घूमनेवाले को मंज़िलों का घर है,
और मैं ठहरा घर में, मुझमें एक खोज अधूरी है।
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तेरा क्या कसूर मेरे महबूब,
मैं खुद मेरे जज़्बातों से भागते रहता हूँ।
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मुझसे शायर को उसीने सच्ची चाहत की,
वो जो कह गया, काश फिर शायरी न करो तुम।।
खुदा की रहमत या भगवान की कृपा कुछ हो जाये,
फिर दर्द न लिखो तुम।।
एक चीनी से मिठास में घोल दे कोई तुम्हें,
शरबत से जीयो, भले फिर फनकार न रहो तुम।।
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