मेरी शायरी पढ़कर मुझे शायर समजने वाले काफ़ी थे....
पर उस शायरी के पीछे का दर्द समजने वाली बस वो एक ही थी....!!
मुझे खुश देखकर उन खुशियों का हिस्सा बनने वाले काफ़ी थे....
पर उस उदास चेहरे का दुख बाँटने वाली बस वो एक ही थी....!!
उनके दिनभर की दास्तान सुनाने वाले काफी थे....
पर मेरा दिन कैसे बिता पूछने वाली बस वो एक ही थी....!!
मुझे अपना मानकर मेरा दरवाजा खटखटाने वाले काफ़ी थे....
पर उसे मेरा मानकर मुझे सहारा देने वाली बस वो एक ही थी....!!
मेरी बत्तमीजिओं की वजह से मुह फेरेनेवाले काफ़ी थे....
पर उन बत्तमीजिओं को बदमाशियां समजकर मेरे और पास वाली बस वो एक ही थी....!!
बारिश के मौसम में हसीन पल साथ में काटने का वादा करने वाले काफ़ी थे....
पर उस ठंड में भी गरमाहट का कंबल ओढने वाली बस वो एक ही थी....!!
जिंदगी की हर सुबह नयी उम्मीद के साथ जीने की सलाह देने वाले काफ़ी थे....
पर जिंदगी को जीने का मक़सद देने वाली बस वो एक ही हैं....!!- Rushikesh Kadam
5 NOV 2018 AT 20:20