Rupsang Jidiya   (રૂપ (रूप))
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Joined 8 March 2020


Joined 8 March 2020
20 APR 2022 AT 11:51

तुम अगर साथ होते, वो वक्त भी कट जाता
सहता था जो अकेले, वो दर्द भी बट जाता

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27 SEP 2021 AT 22:01

हर रात की तरह,फिर निकल आया तू !
आज क्या बात है? पूरा निकल आया तू!

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27 SEP 2021 AT 16:05

कोई कुछ भी कहे, आगे बढ़ते रहो
सफलता न मिले जब तक,पढ़ते रहो

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10 SEP 2021 AT 10:19

ફૂટી છે મારા રોમેરોમ સ્નેહની સરવાણી
સાંભળી એના મુખે સંબંધની મધુર વાણી

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7 SEP 2021 AT 19:25

लम्हा लम्हा जिंदगी गुजर रही है !
तन्हा तन्हा जिंदगी गुजर रही है !

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7 SEP 2021 AT 19:02

लहरों से लड़ने वाले हम,किनारों से धोखा खा गए
औरों में कहां था दम, हम हमारो से धोखा खा गए

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4 SEP 2021 AT 13:32

यूं बेफिक्री से सवालों को टाला नहीं करते
गमों को दिल में अपने यूं पाला नहीं करते

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3 SEP 2021 AT 20:34

इन खाली हाथों में दुआ के सिवा कुछ नहीं
उड़ने वाले गुब्बारे में हवा के सिवा कुछ नहीं

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27 AUG 2021 AT 15:08

लो, बिना कांटो का एक गुलाब तुम्हें सौंपते है
देखते हैं,पंखुड़िया तोड़ने में तेरे हाथ कांपते हैं ?

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27 AUG 2021 AT 14:42

हमेशा तो नहीं होगा तेरा हाथ मेरे हाथों में
आई हो तो लिपट जा,क्या रखा है बेफिजूल बातों में

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