Rupinder kaur   (Rupinder Kaur)
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Hoon be or nhi be.. just an illusion

Insta Rupinderzkaur
Joined 26 May 2020


Hoon be or nhi be.. just an illusion

Insta Rupinderzkaur
Joined 26 May 2020
12 HOURS AGO

तुम्हारी आँखों से क़त्ल हुए हम, उन्हीं में क़ैद हैं,
हम क्या गवाही दें, निज़ाम-ए-इश्क़ की।

تمہاری آنکھوں سے قتل ہوئے ہم، انہی میں قید ہیں،
ہم کیا گواہی دیں، نظامِ عشق کی۔

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15 JUL AT 20:25

बहुत देर तक महकी हूं मैं तेरी खुशबू से,
मुझे नहीं पता तू इत्र है या गुलाब कोई।।

"میں تیری خوشبو سے بہت دیر تک مہک رہی ہوں، مجھے نہیں معلوم تو عطر ہے یا کوئی گلاب।

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24 JUN AT 11:14

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18 MAY AT 19:06

It's been so long since we last met.
I miss you—
I miss your voice like a favorite song I can’t replay.
I miss your laughter,
the way it would dance through the room and light up my soul.
I miss your eyes,
those deep, knowing oceans where I found both peace and fire.
I miss your lips, kissed with the warmth of tea,
and the way you make world best tea for me..
I miss our long drives,
windows down, hearts open, the world fading behind us.
I miss that little mole on your neck—
how it held more beauty than stars on a winter night.
I miss your graceful neck,
the way you tilted your head to listen,
the way you sighed between breaths like poetry itself.
I miss holding your hand—
each finger is a promise I still remember.
I miss our endless conversations,
on spirituality, on politics, on everything and nothing,
each word weaving us closer.
I miss chanting Hanuman Chalisa by your side,
our voices rising in quiet devotion,
two souls praying as one.
I miss our movie nights and the Sufi mahfils,
those sacred nights drenched in music and mystic fire.
I miss our silly fights over food—
how love hid in every disagreement.
I miss you, yaar.
In every breath, in every pause—
I just miss us.

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23 APR AT 15:06

जब तुम्हारी मंजिल आएगी तुम्हें भी,
उतार दिया जाएगा,
रास्ते में मंजिलों का नजारा मत पूछ,
जो बाहों में है वह रूह में क्यों नहीं,
हो गई है गलती हमसे,
कैसे करूँ इसका खसारा मत पूछ,
कभी जिन पांव की मिट्टी मेरे गले का तावीज हुआ करती थी, फिर कैसे उसका भूत सर से उतरा,
मत पूछ।
मैं भी इश्क का कामिल पीर हुआ करती थी,किसी जमाने में मोहब्बत ने कैसे मुझको मारा,
मत पूछ।
मेरी पहली नहीं आखरी मोहब्बत हो तुम,
तुमसे पहले कौन था हमारा,
मत पूछ।
जिस कदर की दीवानगी देखी थी तूने मेरी पहले कभी,
वह जुनून कहां गया अब हमारा,
मत पूछ।
तु छोड़कर जाएगा तो शायद रोकूंगी नहीं तुम्हें,
तेरे संग क्या जाएगा हमारा,
मत पूछ।
ये तेरी दलील है,आसमान में चांद एक ही होता है,
मोहब्बत क्यों कि हमने दोबारा
मत पूछ।
तुझे भी सर बिठाएगे, तेरे भी नाज ऊठायेगे,
अभी कुछ वक़्त बुरा सा है,
खुदारा कुछ मत पूछ।

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15 APR AT 19:58

मैं बहुत अच्छी शायर हुआ करती थी,
कविताएं लिखती थी कहानी बुनती थी,
अब मैं आम सी लड़की हूं,
जो पोस्ट ओफिस के बाहर खड़ी रहती है,
तुम्हारे खतों के इंतजार में,
तुम्हारा नाम कितने खत, चिट्ठियां डाल दी मैंने,
तुम जहां पर हो वहां पर कुछ नहीं जाता,
पता नहीं फिर भी मुझे क्यों लगता है,
किसी दिन किसी मंदिर के बाहर मिलोगे मुझे या,
किसी ट्रेन के इंतजार में खड़े हुए रेलवे-स्टेशन पर,
मुझे तुम बहुत याद आते हो,
मैंने कितनी बार आसमान की तरफ देखकर भी पूछा है,
तुम कौन सा तारा हो,
तुम्हारी तलाश में मैं खुद को भूल चुकी हूं,
कही नही मिलते मुझे तुम,
कहां हो कई बार डर लगता है,
अगर पुनर्जन्म जैसी कोई बात ना हुई,
तो क्या होगा,
क्या वह हमारी आखिरी मुलाकात थी,
मैं तो सबर कर लूंगी पर,
तुम्हारी वह किताब मेरे पास है,
उसको कैसे समझाऊं कि तुम अब कभी नहीं आओगे,
बहुत सारा प्रेम तुम्हें आशीर्वाद तुम्हें,
कहां भी रहो खुश रहो,
आई मिस यू यार
Rest in power

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22 MAR AT 18:20

बहुत दिन बाद मैं तुम्हारे नाम कोई खत लिख रही हूं,
कल मैने आम के पेड़ के नीचे खड़े होकर,
तुम्हें बहुत याद किया।
तुम्हें पता है आम के फलों को भूर पड़ गई है,
मैं इंतजार में हूं,
कब मैं तुम्हारे नाम का पहला सा आम खाऊं,
कितने मौसम गुजर गए कितने आए,
तुम्हारी मौत से बड़ा हादसा मुझ पर आज तक नहीं गुजरा,
तुम्हें पता है कल यूनिवर्सिटी में,
मैंने एक हिंदी की किताब पढ़ी,
और तुम्हें बहुत याद किया,
शायद तुम ही मेरे अंदर से वह किताब पढ़ रहे थे,
मुझे ना तो हिंदी शायरी का शौक है,
ना हिंदी कहानियों का ।
उर्दू शायर हूं और उर्दू की किताबें ही पड़ती हूं,
तुम्हें हिंदी बहुत पसंद है ना,
मुझे लगा कि तुम हो मेरे साथ बैठ कर किताब पढ़ रहे हो।
बहुत मंजर देखे अब तक मैने,
तुम्हारी बड़ी-बड़ी आंखों से खून टपकता देखना,
सबसे बुरा था और यादगार भी,
ढेर सारा प्रेम तुम्हें आशीर्वाद तुम्हें,
मैं आशा करती हूं कि हम मिलेंगे तुम यह सारी कविताएं पढ़ोगे यह सारे खत जो तुम्हारे नाम लिखे गए हैं,
मैं बहुत खुश हूं ,
तुम्हारी खुशी के लिए प्रार्थना करती हूं
ऊं शांति।।

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5 MAR AT 20:13

क्या कहा?
मुलाकात जरूरी नही,

मैं शायरा हूं ,
बिन इश्क मर भी सकती हूं।।

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9 FEB AT 13:12

सुनो चॉकलेट से लड़के
गुलाब से गुलाबी होठों वाले.
मीठे शहद से बने.
तुम कहां खर्च करोगे,
चॉकलेट पर मिठाइयों पर,
तुम्हारे होंठ कम थोड़ी है.
थोड़ा समझो गहरी बातों को.

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22 DEC 2024 AT 13:51

काश मैं वो अहसास लिख पाऊं कभी ,
जब तुम साथ होते हो,
तो धड़कन क्यूं रूक जाती है।।

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