Rupesh Upadhyay   (रूपेश उपाध्याय)
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Ever a poetic now crime researcher.
Joined 2 February 2019


Ever a poetic now crime researcher.
Joined 2 February 2019
25 SEP 2021 AT 22:19

...🌻💝...

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12 JUN 2021 AT 15:55

🌻एक रात चाँद ने एक जुगनू से पूछा, "तुम्हें शर्म नहीं आती दूधिया उजाले में अपनी टिपिर-टिपिर बत्ती चमकाते हुए कि उससे कितनी रोशनी होती है?"
जुगनू बहुत शर्मिंदा हुआ इस व्यवहार से और उससे भी ज़्यादा ख़ुद के अस्तित्व पर। अपने साथ-साथ ईश्वर को भी कोसता रहा। लेकिन उसकी टिप-टिप बत्ती बुझी नहीं, वह उसके अधीन नहीं थी। वर्षों बाद एक दिन फिर चाँद से से उसी बात पर भिड़ंत हुई। जुगनू ने कहा, "पता है मुझे कि एक बार मेरे एक पूर्वज को तुमने ऐसा ही कुछ कहा था। तुम बस एक अँधेरी रात के बाद मिलना।"
चाँद राज़ी हो गया। वह जुगनू उस रात सहस्त्रपुर राज्य के राजा के शयनकक्ष के पर्दे पर रात भर बैठा रहा। दूसरे दिन राजा ने मुनादी करवा दी, "अब से इस राज्य की सीमा तक हर माह दस रात चाँदनी नहीं होगी, जुगनुओं की पहरेदारी होगी।"
बाद इसके सब कहानी सुनते रहे कि जुगनुओं में से एक ने उनको भी उनकी बात बतायी...🌻
"इसी राह पर" से साभार

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9 JUN 2021 AT 12:22

🌻जिन्हें ज्ञान प्राप्त है
बहुत सम्भव है
कि वे
साधारण लोगों की
तरह रह रहे हों
लेकिन
वे
साधारण नहीं होते...🌻
...सीता ने अशोक वाटिका में एक बार सुपर्णखा से कहा था।

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6 JUN 2021 AT 1:06

🌻कि #YQDidi
इस ज़ाहिल, गँवार
कोरोना का दुष्प्रभाव कम हो जाने पर
हम जैसे कुछ
एकदम आधार yq लेखकों
के लिए
एक चाय पार्टी
का आयोजन करें या
कभी भी
Yq का एक ऑनलाइन
मीटिंग ही
लेकिन
काश ऐसा मुमकिन होता...🌻

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5 JUN 2021 AT 19:33

🌻इतना भी बुरा
नहीं है
अंधविश्वास, बस
जिस पर हो
वह
बुरा न हो...🌻

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3 JUN 2021 AT 23:07

💕आपका दिया
सब कुछ है
मेरे पास
सिवाय आपके...💕

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31 MAY 2021 AT 5:11

🌻"क्या यार जर्सी ! क्या है यह? तुम इतने बड़े आदमी बन गए हो और अब तो तरक्कियाँ तुमको लाइन मार रही हैं और तुम साला उदबिलाव जैसा मुँह बनाये बैठे हो..."
रंजना ने मंत्रालय के बाहर फ़ाइल बैग लिए बैठे हुये जसविंदर की पीठ पर हाथ रखते हुए हमेशा की तरह हालचाल लिया। वह लेकिन रोज की तरह अभी नहीं था । वह तुरंत ही फफक पड़ा, "रंजू दीदी ! बड़ा आदमी ! मैं तो इतना छोटा हूँ कि अपनी ही नज़रों में कभी सीधा ही खड़ा न हो सका... क्या किसी को ख़ाक इंसाफ़ दिला पाउँगा..."🌻
"...इसी राह पर" से

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26 MAY 2021 AT 12:37

🌻 किसी स्त्री से
उसकी आयु
किसी पुरुष से
उसकी आय
और
किसी पीएच.डी.
शोधार्थी से
उसकी
रिसर्च प्रोग्रेस
के बारे में
कभी नहीं पूछना चाहिये...🌻

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13 MAY 2021 AT 4:29

🌻यह वक्त ही
तो है,
गुज़र जायेगा
लेकिन ऎसे !
सोचा न था;
माना कि
मिलकर ही बिछड़ते हैं
कुछ लोग
तुम ऎसे चले जाओगे
सोचा न था...🌻

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8 MAY 2021 AT 12:23

🌻इतने बदलाव
हो जायेंगे
कि समझ भी न
पाओगे
कि हम
"वो"
थे या
"यह" हैं... 🌻

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