Rupesh Singh   (जिंदगीनामा)
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लिखना कुछ नहीं आता हमें,
मगर फ़िर भी…
चंद लम्हे लफ़्ज़ों में बांटने की तलब रहती है..!.
Joined 3 August 2018


लिखना कुछ नहीं आता हमें,
मगर फ़िर भी…
चंद लम्हे लफ़्ज़ों में बांटने की तलब रहती है..!.
Joined 3 August 2018
23 SEP 2022 AT 6:42

रख सकों तो एक निशानी हूँ मैं
खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं
रोक ना पाए जिसको ये सारी दुनिया
वो एक बूंद आँख का पानी हूँ मैं.

सबको प्यार देने की आदत है हमें
अपनी अलग पहचान बनाने की आदत है हमें
कितना भी गहरा जख़्म दे कोई
उतना ही ज्यादा मुस्कुरानें की आदत है हमें.

इस अजनबी दुनिया में अकेला ख़्वाब हूँ मैं
सवालों से खफा छोटा सा जवाब हूँ मैं
जो समझ ना सके मुझे उनके लिए कौन
जो समझ गए उनके लिए खुली किताब हूँ मैं.

आँख से देखोगे तो खुश पाओगे
दिल से पूछोगे तो दर्द का सैलाब हूँ मैं
अगर रख सकों तो एक निशानी हूं मैं
खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं

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24 JUL 2022 AT 21:32

नवीन पीढी छोटी-छोटी उम्र में प्रेम तो कर रही है
पर
प्रेम अहसास है
यह जाने बीना सम्बंध बना कर
प्रेम को मात्र एक शस्त्र बना कर
अपने वक्त से पहले जो जरुरत नही है
वो पुरी कर रही है
प्रेम नही कर रही है

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16 JUL 2022 AT 22:08

बेचैन होकर कुछ नहीं बदलता
मिलता वहीं है
जो मुकद्दर में हो

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15 JUL 2022 AT 21:59

गाँव बदल रहा था
तो
शहर हो रहा था
और
इंसान बदल रहा है
तो
ज़हर हो रहा है

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12 JUL 2022 AT 21:55

लड़ने की ताकत सबके पास होती है
लेकिन
किसी को जीत पसंद है
तो
किसी को संबंध

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11 JUL 2022 AT 23:09

कुछ भ्रम जल्दी ही टूट जाते है
कुछ भ्रम टूटने में वक़्त लेते हैं
पर अंतत:
हर भ्रम टूट कर ही रहता है
भ्रम की नियति ही टूटना है
इसे समझने में उम्र जाया होती रहती है

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11 JUL 2022 AT 22:11

चंचलता को जकड़ने की कोशिश करोगे
तो
बस हाथ ही मलते रह जाओगे
न तितली बचेगी
और
न ही उसकी चंचलता

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7 JUL 2022 AT 21:00

इंसान तारों को तब देखता है
जब
ज़मीन पर कुछ खो देता है

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7 JUL 2022 AT 11:01

नफ़रत भी नहीं है
गुस्सा भी नहीं हूँ
और अब
तुम्हारे ज़िन्दगी का हिस्सा भी नहीं हूँ

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6 JUL 2022 AT 23:58

तुम्हारा साथ भी छुटा
तुम अजनबी भी हुए
मगर
जमाना अब भी तुम्हें मुझमें ढूँढता है

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