मीलों दूर होकर
ये आखें
बस उन्हे देखने को तरसती है
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कभी प्रसन्न हो जाता था मन उसकी बातो से
अब जब भी उनसे बात होती हैं मन करता है कर लू खुदकुशी
पर मां के खातिर मजबूर हूं कि जीना मेरी मजबूरी है
वरना खुशनसीब होते वो जब उन्हें मेरी मौत की खबर मिलती
कहना चाहता हूं मै बस एक बात उनसे की सब्र रखो मेरी मां के लिए ज़िंदगी भर की जरुरतों का इंतजाम कर दू तब जल्द ही आपको मेरी खबर मिल जाएगी।
जिसे कभी अपने सवालों का जवाब ना मिला आशिक़
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उसके रूप सौंदर्या मे नहीं,
उसकी मासूमियत भरी आंखों मे मनमोहित हो लिया,
जाना जब मैने लिखा है उसके दिल में किसी अपने का नाम
तुरंत उसके दिल नाम के मंज़िल से
अपना रुख हवाओं की तरह मोड़ लिया।।-
आज भी ग़लती मेरी हैं ।
जायज़ हैं दूर जाना,
कितने गुनाहों का गुनाहगार हूँ।
दिल के साथ आज,
दिमाग ने भी जाना ।।
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ना रो सकते है, ना हस सकते हैं ।।
ना ज़िन्दगी जी सकते हैं ,
ना मर सकते है।।
अब हम किसी को ,
कुछ नहीं कह सकते हैं।-
बस तस्वीर रह गयी उनकी
दिल और दिमाग में,
अब तो वह पल भी
मुश्किलों से आता है
जब उनके अल्फ़ाजो का
एक लफ्ज सुनने का
सौभाग्य आता है ।-