Rupani singhbhardwaj   (रूपानी सिंह)
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कुछ बेजुबां से लफ्जो को समझने की कोशिश
Joined 22 February 2020


कुछ बेजुबां से लफ्जो को समझने की कोशिश
Joined 22 February 2020
24 APR 2021 AT 8:05

हर बार तेरी मर्जी में ढल जाऊं
ये मुमकिन हैं क्या......?
मेरा भी वजूद है, मैं कोई आइना तो नहीं

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20 MAY 2020 AT 10:46

ख्वाहिशें तो मेरी छोटी छोटी थी ,
पूरी न हुई तो बड़ी लगने लगीं..😒

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20 MAY 2020 AT 10:38

कुछ था, जो छूकर निकल गया!
महसूस हुआ पर दिख ना सका!
जानती हूं मैं, आहटे भी बसती हैं,
हमारी ही बस्ती में!
या मैं बसी हूं...?
उन उन आहटो की बस्ती मे?

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20 MAY 2020 AT 7:02

हमारी सोच कागज पर कभी असली नहीं उतरी
हम अपने ख्वाब की तस्वीर भी नकली बना लिए

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19 MAY 2020 AT 12:52

Oye ek baat bolun
Tere hothon per muskan dekhkar mere chehre per badi si smile aa jaati Hai
Tu sirf dost nahi jine ki wajah v h meri....🥰

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18 MAY 2020 AT 20:26

एक दिन जब उम्र ने तलाशी ली,
तो जेब से लम्हे बरामद हुए..
कुछ ग़म के थे,
कुछ नम से थे कुछ टूटे हुए थे,
बस कुछ ही सही सलामत मिले.
जो बचपन के थे!!

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18 MAY 2020 AT 17:10

इतना क्यों हमे सिखाए जा रही है
ऐ ज़िन्दगी.........
कोन सा हमें यहां सदियां गुजारना हैं

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18 MAY 2020 AT 13:50

मेरी महफिलों की शुरुआत तेरे चर्चे से हो गई
तू हो जवाब जिसका मैं वो हर सवाल हो गई

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18 MAY 2020 AT 13:36

एक लड़के कि दुःख भरी कहानी.....
आज कल के लोगो को Facebook
nd Instagram कम पड़ जाते हैं, जो
Games मैं जाकर लड़कियों को Hiii,
Hello बोलने लग जाते हैं............🤷

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18 MAY 2020 AT 12:07

सब कुछ कह कर भी
बात अधूरी रह जाती है
तेरे साथ रह कर वक़्त
का पता नहीं चलता,
ऐसा लगता है,
कुछ बात रह गई। !!

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