देख अपनों को सामने "अर्जुन",
का मन थरथर कापा।
शक्तिमान "गाण्डीव" भी हाथ मे,
लग रहा था ,नाकारा।
आये "माधव" स्वयं बन सारथी,
जब अंतर्मन से पुकारा।
दे उपदेश "गीता" का श्री हरि ने,
लगाया धर्म का जयकारा।
नजरिया बदला "अर्जुन" ने तो,
बदल गया पूरा ही नजारा।
कर्मपथ पर जो "पार्थ"रुक जाते तो,
क्या सच मे धर्म जीत पाता।
अपनों मे उन्होंने "अधर्म"को पहचाना,
शायद नजरिया ही इसे कहा जाता।
रुक जाते अगर "कदम" उनके,
तो क्या धरती पर पाप रुक पाता।
स्वयं को मान लिया हैं "अर्जुन"
कान्हा,अब मुझ पर भी कृपा बरसाना।
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अगर हम होते तो.......
आप-तुमको जो लेना हो लो, दाम का स्टीकर क्यूँ देखती हो।
मैं-देखना पड़ता है यार, घर बातों से नहीं चलता पैसे से चलता है।
आप-अरे यार तुम साल में साड़ी खरीदती ही कितनी हो, मेरे साथ बाजार आया करो तो ये दाम वाम मत देखा करो।
मैं-अच्छा जी आज बड़े पैसे आ रहे हैं, पहले तो कभी एक चॉकलेट तक तो खिलाई नहीं मैं कह कह के रह गयी।
आप- बहुत बड़ा पाप हो गया मुझसे , पंद्रह साल हो गए तुम्हारी चॉकलेट न दे पाया।
मैं- तो और क्या भूलने थोड़े ही न दूँगी, ये क़र्ज़ तो रहेगा आप पर जीवन भर।
आप- चलो अभी चलो आज तुम्हारी चॉकलेट की ऐसी की तैसी।
मैं- रहने दो उम्र गयी, कितनी तमन्ना थी, अब तो बस।
आप-अब तो बस....आगे क्या।
मैं- छोड़ो चलो गोलगप्पे खाते हैं।-
राजस्थान हूँ म....
सुणो मैं हूँ राजस्थान।
मीरा री तपस्या रो,
पन्ना रा बालिदान रो।
गर्व को गवाह हूँ म....
राणा रा जस रो,
चौहान रा दम रो।
सिर झुका आभारी हूं म....
दाल- बाटी-चूरमा रो,
कैर-सांगरी रो।
खाणे रो स्वादी हूँ म....
ताव मुच्छया रो,
फैशन जुत्या रो।
पेरण को अभिलासी म....
हुँकार अठे तेजा रो,
रातिजगो अठे पित्तर देव रो।
सुण गर्वीला हूँ म....
घूँघट बीनणी रो,
ठरको रजवाड़ा रो।
देखर ही राजी हूं म....
गौरव किशनगढ़ री बणीठणी रो,
शान गढ़ री ऊँचाई रो।
सोचर ही इतराऊ म.....
प्रेम अठे पृथ्वीराज-संयुक्ता रो,
जिगर बॉर्डर रा हीरा रो।
शान स्यू पिछाण हूं म....
इंतज़ार राजस्थानिया री मनुहारा रो,
व्यापार ज्याको करोड़ा रो।
सुणो राजस्थान हूँ म....।— % &-
अल्फाज तो शायद मेरे तुम पर असर ना करे,
रुको धड़कन सुन लो ना......।— % &-
जब नया जन्म मिलेगा तो मांग लाऊंगी
थोड़ी सी ज्यादा हिम्मत,
मुझे बड़ी महँगी पड़ रही है,
कदम कदम पर मिलने वाली जिल्लत।।-
होना तो चाहिए था
जैसे सब करते है मुझे फोन
और बता देते है अपने किस्से
परेशानी, दुख, दर्द और व्यस्तता
बता देती मैं भी उन्हें
अपनी तकलीफ़े
पर ऐसा हो नही पाता
कहाँ कह पाती हूँ मैं?
किसी से भी
कि यार मेरा ये काम हो नही पा रहा
यार तबियत खराब है मेरी
रात भर नींद नही आयी
या है और कोई समस्या
कभी कभी लगता है
कोई manufacturing fault
रह गया है शायद मेरे भीतर
जो इतना हक
महसूस नही कर पाती
मैं किसी पर भी...।-
सुन दुश्मन की जरा सी हलचल वीर हमारा भी गरज जाये।
कुछ खुद की पूर्व कपटी नियोजन से दुश्मन इतरा जाये।
गन्दी मानसकिता के संग वो नादान माँ भारती को छेड़ जाये।
कसम ली खुद मिट जाने की भी जवानों ने इसे कैसे कोई भेद जाये।
वीर अपना वचन निभाने को बार-बार दुश्मन से भीड़ जाये।
हाँ पहली गोली खुद की नही पर उसके बाद ठाय ठाय हो जाये।
डटकर करते मुकाबला युद्ध मै अंत मे वीर गति को प्राप्त हो जाये।
जिनसे "शौर्य" चमक रहा फिजाओ में ,हम "शौर्यदिवस"मनाये जाये।
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कोई पूछे मुझसे प्रेम की परिभाषा,
मेरे लिये तो इसका उत्तर सिर्फ "समर्पण"है ।-
बहुत याद आते हो तुम जब,
कोई बेपनाह खुशी मिलती है
या दिल तोड़ कर रख देने वाला लम्हा।
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