प्रीत की बोली गुम यहाँ!बस नुमाइश ही भरी जहाँ!इस ज़माने का दस्तूर नया,प्रेम का एहसास फिर कहाँ? - Dr. Rupali
प्रीत की बोली गुम यहाँ!बस नुमाइश ही भरी जहाँ!इस ज़माने का दस्तूर नया,प्रेम का एहसास फिर कहाँ?
- Dr. Rupali