हम खुद की वजह से परेशान हैं, या दूसरों की ख़ुशी से परेशान हैं…? हमारी जिदंगी में कुछ अच्छा नहीं, इसलिए परेशान हैं, या दूसरों की ज़िंदगी हमारी ज़िंदगी से बेहतर है, इसलिए परेशान हैं…?
एक दिन , वो दिन आए , जब बिलकुल उस पंछी कि तरह आज़ाद हो जाऊँ। एक दिन , वो दिन आए , जब बिलकुल उस पानी की तरह छरहरी हो जाऊँ । एक दिन ,वो दिन आए , जब बिलकुल उस रेत की तरह बेपरवाह हो जाऊँ। एक दिन , वो दिन आए , मैं , मैं ना रहूँ , बस एक एहसास बन जाऊँ ।