एक सुंदर व्यक्ति बहुत दिनों तक सुंदर नहीं रह सकता लेकिन एक सचरित्र व्यक्ति सदैव सुंदर रहता है क्योंकि उसके चरित्र और चित्त का निर्माण उसके मूल और सात्विक गुणों का परिणाम होता है।
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A beautiful person looks good for some days but a person of good character looks beautiful forever because core traits of his/her character and mind are the result of his/her inner and soulful knowledge.
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ये बस एक रेशम का धागा नहीं मेरे भैया,
इसके संग अपनी भावनाओं को तुम्हारे कलाई पर बांध रही।
तेरे माथे पर टीका कर,
अपने प्रभु से तेरा सुंदर सौभाग्य मांग रही।
ये हमारे पवित्र संबंध की प्रामाणिकता है।
ये मेरे अस्तित्व की सात्विकता है।
ये एक अटूट विश्वास है।
इससे हमारे जीवन में उल्लास है।
ये रीत समझाती है,तुम मेरे रक्षक हो।
मेरी प्रार्थना है प्रभु से,वे सदैव तुम्हारे रक्षक हों।
इस रीत की मिठास ऐसी ही मीठी रहे।
हम दोनों की जोड़ी ऐसी ही बनी रहें।
तुम्हारे सारे सुख को ईश्वर दुगना करें।
तुम्हारे सारे कष्ट को वें निस्तार करें।
युग-युगांतर तुम्हारी यश-कीर्ति बनी रहें।
और हर राखी ये बहन तेरी कलाई सुशोभित करती रहें।-
प्रिय मित्र,
आज एक काम करते हैं...
भले साथ हो या दूर सही,
अपना कुछ समय अपनी मित्रता के नाम करते हैं।
फिर से वो रेत के टीले बनाते हैं,
जिसकी झांकी निकालते थे हम साथ कभी।
एक कोना तुम खड़ा करते थे।
और एक मैं वहीं।
जो लहरें आती थी बारिश की
साथ मायूस होते थे।
और एक दूजे को हौसला देकर फिर से खड़ा करते थे।
और कहा करते थे....
ये कोना पहले तुमने खड़ा किया था,
अब दूजा मैं कर रही।
अच्छा है दोनों एक मत का ये घरोंदा
इतने में पीछे से मां बतला रही।
और आशीर्वचन में हमें
एक-दूजे-सा बतला रही।
कुछ तुम्हारे अवगुण मैं क्षमा करूं,
और कुछ तुम मेरे।
कुछ मेरे गुणों को तुम उन्नत करो,
और कुछ मैं तुम्हारे।
और मैं वो पुरानी मित्रता
को याद कर फिर स्नेह से गर्वित हो रही।
आज भी यही वचन है इस मित्र दिवस पर
हमारा विश्वास ऐसे ही अडिग रहें।
और प्रेम की पूर्णता की आस पर नहीं,
हमारे सामंजस्य के नींव पर ये अटल है।-
आत्मीय संबंधों का स्वास्थ्य तभी उत्तम हो सकता है,
जब व्यक्ति उसे मनुजत्व से संभाल कर रखें।
क्योंकि देवत्व केवल अमरत्व से संभाला जा सकता है,
लेकिन विषमताओं का विष तो मनुजत्व से ही दूर किया जा सकता है।-
संबंध...
जिस तरह किसी चीज को कभी पाना सरल,तो कभी कठिन है,
मगर मिल जाने के बाद उसे,संभाल कर रखना कठिन है।
ठीक उसी तरह किसी संबंध को बनाना कभी सरल,तो कभी कठिन है,
मगर मिल जाने के बाद उसे,जीवन पर्यन्त संभाल कर रखना कठिन है।-
मेरा जीवन एक अधूरा जीवन,
इसमें कलपता मेरा मन हर क्षण।
जिस प्रेम की नींव पर जीती आई अब तक,
उस प्रीत की कठोरता पर हारी अंतिम क्षण।
जितना सुंदर था,साथ हमारा,
उतना सुन्दर था प्रेमी जीवन।
जितना सुघड़ था,हृदय हमारा,
उतना प्रखर भाग्य भी हर क्षण।
बिन मांग भरे,सिंदूरी थी मैं।
बिन चूड़ी पहनाएं,सावन थी मैं।
बिन मेंहदी सजाएं,उनका नाम पढ़ती थी हाथों में।
बिन लाली लगाएं,उनके होंठों से लाल रहती,होठों और गालों में।
सब था,पर बस कुछ क्षण था,
सब अधूरा होने लगा,जैसे एक धूमिल स्वप्न था।
अचानक उसे संस्कार याद आए ऐसे।
भूल बैठे वो मेरी मर्यादा,जैसे टूटी न थी कभी कैसे।
मेरा आलिंगन,मेरा प्रेम,मेरी मर्यादा,मेरा स्नेह।
सब छलावा कह एक पल में मुझे भुला दिया।
अब क्या मेरे जीवन का,ये एक छल का रूप बन ढह रहा।
मेरा हंसता,खेलता संसार उसके एक भूल पर उजड़ रहा।
मैं कुछ न थी तो क्यों पूरा करने आए मुझे।
क्यूं अपनाया,क्यों अपने सुगंध से सजाएं मुझे।
जब अधूरा करके जूठन बनाकर जाना था,
तो सुहागन के स्वप्न क्यों दिखाएं मुझे।
ये अधूरे सपने अपने मुझे हालाहल जैसे लगते हैं।
मेरे जीवित हर श्वास,हर क्षण मृत्यु सम लगते हैं।
मेरे अधूरेपन को मिटा दो,तो ही क्षमा कर पाऊंगी।
वरना मृत्यु का आलिंगन कर,तुम्हें दोषमुक्त कर जाऊंगी।
वरना मृत्यु का आलिंगन कर,तुम्हें दोषमुक्त कर जाऊंगी।
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रास्ता तेरी तरफ़ का
जो मेरी तरफ आता था अक्सर।
अब वो तू ख़ुद अजनबी बनाता जा रहा है।
तेरी मंजिल का पता कभी मैं थी,
उसे तू अब किसी और का दामन बताना चाह रहा है।
कैसे जी लेते हो तुम,
मेरी आंखों में आंसू लाकर।
कैसे जी लेते हो तुम,
अपने होंठों पर किसी और का नाम लाकर।
जो सच्चा होता तुम्हारा प्यार,
तो मेरे रूहानियत की खुशबू न भूल जाते यूंही।
जो याद आती तुम्हें मेरी,
तो हमारी किस्मत को दरकिनार न करते यूंही।
ग़म इस बात का नहीं कि,भूलने की तैयारी कर बैठे हो मुझे।
ग़म तो इस बात का है,कि जो सांसों में बसी हो उसे भूलोगे
कैसे?
उसके दिए लम्हों को भूलोगे कैसे?
उसके दिए अर्पण को भूलोगे कैसे?
उसके सजाएं खुशियों को कुचलोगे कैसे?
इस तरह अकेलापन कोई अपना कहां देता है।
जिससे मेरी सारी दुनियां थी,वो कैसे उससे खुद छीन लेता है।
मेरी किरदार को मिटाना था,तो कभी पास क्यों आए?
मेरे हाथों में मेंहदी अपने नाम की क्यों सजवाएं?
फिर भी मैं तो तुम्हारी हूं,खुद को तुम्हें दिए जा रही हूं।
अब न लौटूंगी कभी,इस रास्ते पर वो वादा लिखे जा रही हूं।
मर कर भी ये रूह तुम्हारा इंतज़ार करेगी।
मेरी मोहब्बत का आईना,तुम्हें ताउम्र दिखाती रहेगी।-
रास्ता तेरी तरफ़ का
जो मेरी तरफ आता था अक्सर।
अब वो तू ख़ुद अजनबी बनाता जा रहा है।
तेरी मंजिल का पता कभी मैं थी,
उसे तू अब किसी और का दामन बताना चाह रहा है।
कैसे जी लेते हो तुम,
मेरी आंखों में आंसू लाकर।
कैसे जी लेते हो तुम,
अपने होंठों पर किसी और का नाम लाकर।
जो सच्चा होता तुम्हारा प्यार,
तो मेरे रूहानियत की खुशबू न भूल जाते यूंही।
जो याद आती तुम्हें मेरी,
तो हमारी किस्मत को दरकिनार न करते यूंही।
ग़म इस बात का नहीं कि,भूलने की तैयारी कर बैठे हो मुझे।
ग़म तो इस बात का है,कि जो सांसों में बसी हो उसे भूलोगे
कैसे?
उसके दिए लम्हों को भूलोगे कैसे?
उसके दिए अर्पण को भूलोगे कैसे?
उसके सजाएं खुशियों को कुचलोगे कैसे?
इस तरह अकेलापन कोई अपना कहां देता है।
जिससे मेरी सारी दुनियां थी,वो कैसे उससे खुद छीन लेता है।
मेरी किरदार को मिटाना था,तो कभी पास क्यों आए?
मेरे हाथों में मेंहदी अपने नाम की क्यों सजवाएं?
फिर भी मैं तो तुम्हारी हूं,खुद को तुम्हें दिए जा रही हूं।
अब न लौटूंगी कभी,इस रास्ते पर वो वादा लिखे जा रही हूं।
मर कर भी ये रूह तुम्हारा इंतज़ार करेगी।
मेरी मोहब्बत का आईना तुम्हे ताउम्र दिखाती रहेगी।
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