Ruhaniyat by Sonika   (फ़लक)
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Joined 19 July 2020


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Joined 19 July 2020
2 OCT 2021 AT 22:33

कभी रूह ,कभी फ़लक तो कभी सहर लिखती हूँ ,
मैं अपने दिल की बातें इस कदर लिखती हूँ ,
कभी ख़ुशी , कभी ग़म तो कभी सफ़र लिखती हूँ ,
मैं अपने दिल की बातें इस कदर लिखती हूँ ,
अपनी नज़रों से मैं दुनिया की नज़र लिखती हूँ ,
मैं अपने दिल की बातें इस कदर लिखती हूँ ,
बदल दूँ सोच मैं इरादों में वो असर लिखती हूँ ,
मैं अपने दिल की बातें इस कदर लिखती हूँ ,
कई किरदार में रंग भरकर पेशावर लिखती हूँ ,
मैं अपने दिल की बातें इस कदर लिखती हूँ ..।

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2 OCT 2021 AT 20:49

शायद थोड़ा ज़्यादा था ,

इक छोटा सा वादा था ,

संग जीने का इरादा था ,

बस इतना ही माँगा था ..।

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2 OCT 2021 AT 14:43

दौर ज़िंदगी का कहता चला गया ,
बहती नदी सा वक़्त बहता चला गया ,

ढूँढें कहाँ से हम चराग़ आँधियों में ,
जलता हुआ चराग़ था जलता चला गया ,

रोका बहुत था हमने इन आंसुओं को कब से ,
तुझे सामने क्या देखा पिघलता चला गया ,

बाक़ी नहीं है अब कुछ हाथों में जो बचा हो ,
रेत का महल था फिसलता चला गया,

किस बात का करूँ ग़म,किस-किस को दूँ सफ़ाई ,
ये सोचकर हमेशा दिल सम्भलता चला गया ..।

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2 OCT 2021 AT 9:21

कभी रंग तो कभी रोशनी बनकर ,
खिलखिलाती रहो तुम ख़ुशी बनकर ,
चाँद-तारे सिमट जाए आँचल में तुम्हारे,
लहलहाती रहो तुम ज़मीं बनकर ..।

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2 OCT 2021 AT 0:24

उलझे-उलझे ख़्वाबों में कितना उलझा-उलझा है दिल,

थोड़ी-थोड़ी आसानी है , थोड़ी-थोड़ी है मुश्किल,

संवर गयी कभी बिखर गयी हूँ , ख़्वाबों की आवा-जाही में ,

कभी भिगोती लफ़्ज़ अश्कों में ,कभी भिगोती स्याही में ..।

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1 OCT 2021 AT 22:29

व्यथा बड़ी है कथा है छोटी ,
जीवन खेले शतरंज की गोटी,
कोई खाए मावा-मिश्री ,
कोई माँगे दर-दर रोटी ..।

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1 OCT 2021 AT 21:19

इतनी भी अर्ज़ानी नहीं मेरी मोहब्बत,
के तहज़ीब भुला दे सारी हदें तोड़कर ..।

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1 OCT 2021 AT 14:58

न रास्तों से वास्ता,न मंज़िलों की फ़िकर ,
साथ चलना है मुझे तो तेरे, उम्र भर …

मैं तो नदिया हूँ बस बहती चली जाऊँगी ,
लाख हो मुश्किलें, सागर में मिल ही जाऊँगी ,
कुछ पल का साथ नहीं ये सफ़र ,
साथ चलना है मुझे तो तेरे ,उम्र भर ..।

कभी बन के घटा बेमौसम भी बरस जाऊँगी ,
तेरी ताबीज़ बन बुरी नज़रों से तुझे बचाऊँगी ,
धूप हो तेज या छाँव भरी हो डगर ,
साथ चलना है मुझे तो तेरे,उम्र भर ..।।

रफ़्ता-रफ़्ता ही सही तू मेरा नसीब तो बन ,
ग़ैर सा दूर न रह आ मेरा हबीब तो बन ,
तेरे सज़दे में आ झुका दूँ मैं अपना ये सर,
साथ चलना है मुझे तो तेरे,उम्र भर ..।।।



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1 OCT 2021 AT 12:16

रोज़ मरती हूँ सौ दफ़ा मगर वफ़ात कहाँ ….।।

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1 OCT 2021 AT 9:30

Hope for something better,
Spread happiness, peace and lights,
Like star,like moon , like glitter..

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