When India lost to Pakistan in the hearts of fans
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माया की बेड़ियों या जाने क्या क्या सोचोगे,
खोजोगे सुकून तुम खुद में भी खोजोगे,
बैठोगे रात भर इन घाटों के किनारे
जीवन मृत्यु के काल चक्र को भी सोचोगे।
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We must not lie,
At least to the glass pieces,
You shred last week in the shed of growth.
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रिश्ते टूट जाते हैं,
पर वादे वही रहते,
समय निकाल भी लेते,
पर मंसूबे गवाही नहीं देते ।-
Chai with ParleG and Arijit Singh on background with sunset curling around
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फिर धीरे धीरे एक खयाल दिमाग में दस्तक देने लग जाता हैं कि लोग कैसे किसी घटना शख्स या कुछ बेहद जरूरी दर्दनाक को भुला पाते है।
क्या उन दिमाग में रखी डायरी से भी दीमक ।
हर्फ दर हर्फ शब्द दर शब्द , याद दर याद मिटाते होंगे।या हम यूं की किसी सुबह उठते होंगे और वो डायरी गायब । अगर दूसरा वाला है तो क्यों लोग कुछ घटना वक्त और शख्स भुलाने में सालों लगाते हैं?
क्यों नही सुबह उठते है और सब कुछ भूल जाते हैं।
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चाय सी मनचली हो चुकी हैं तुम्हारी यादें,
कम्बक्त वक्त बे वक्त चली आया करती हैं।-