Rudrapriya   (M. Rooni)
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Joined 24 October 2018


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Joined 24 October 2018
16 MAY 2021 AT 9:08

उन्हें फुर्सत नहीं मेरी जानिब कोइ ख़्याल करे
मोहब्बत को रूनी
हिचकियों का भी सहारा ना रहा..

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4 MAY 2021 AT 23:32

तुम से इतर मेरी अनुभूतियां
तुम्हारा आधिपत्य मेरा समर्पण
तुम्हारा स्खलन मेरा धारण
इन्हीं इतर अनुभूतियों से
सृजन के फूल खिलते हैं
मैं क्यों होऊ रूनी तुम जैसी
हमारे इतररंगी साहचर्य से जीवन है
जीवन का सौंदर्य है.

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24 FEB 2021 AT 16:21

जब कोइ ना पढ़े इबारते दिल...
हाले दिल क्यों ना रूनी
लिख लिख के मिटाया जाए..

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18 JAN 2021 AT 23:30

तेरे मेरे रिश्ते की जब बात आती है
बस एक सच्ची बात रूनी याद आती है..
ज़मी का जड़ों से जो रिश्ता है ये वही रिश्ता है
इसी रिश्ते से ही तो दरख्त हरा दिखता है
पत्ते शाखें टहनियां जब सूख जाते, टूट जाती है
पेड़ जड़ों से उखड़े तो भी मिट्टी.. साथ आती है..

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20 DEC 2020 AT 23:21


ता उम्र उसके रहे रूनी पर उसके ना लगे
बड़ी अदाकारी से उम्र तमाम की हमनें .....

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4 DEC 2020 AT 23:09

स्नेह डोर कमज़ोर ना थी,पर टूटी, सो तो होना था
तुम नेह के मोती ऐेसे थे तुम्हें पा के रूनी खोना था
जब नेह पात्र पराया हो क्या प्रेम भरा रह पाएगा
है पात्र जिसका, आख़िर चल के..
अधिकार वही तो पाएगा

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24 NOV 2020 AT 16:09

गुम हैं..... युगों से..
तभी तो रूनी... उस आदिम खोज में.... .
दोनो तलाशते रहते हैं एक दूसरे मे एक दूसरे को....

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28 OCT 2020 AT 12:35

जो मौन मे दूर से हो जाए
वो बात मैं जानू तुम जानो
जो प्रीत नें प्रीत को दिया लिया
रूनी सौगात मैं जानू तुम जानो
वो जो दिल में है ना कह पाए
हर बात मैं जानू तुम जानो
है बीच हमारे जहांमगर
इक डोर हमे जो बांधे है
तेरे मन की मेरे मन के
जज़्बात मैं जानू तुम जानो

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19 OCT 2020 AT 1:48

प्यार प्रीत प्रेम में कुछ होता है कोइ अलहदा सी बात जो देखने दिखाने सुनने सुनाने वालों से अलग दो लोगों के बीच पलती है वो जो दो लोगों के दिलों उनकी शख्सियतों के बीच पिघलती है और अंदर जा कर एक अलग ही शक्ल अख्तियार कर लेती है कुछ ऐसा जो जाहिर है और छुपा भी.. और उसी दरमियाँना चीज को जब वो ढूंढते है अपने ज़हन से तसव्वुर से तो वो दोनों की हो जाती है.. रूनी जिसे किसी तीसरे को समझाया नहीं जा सकता..

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24 SEP 2020 AT 13:40

रस्मों रिवाजों के बंधनों
परंपराओं संस्कारों की दीवारों
लोक लाज के पर्दों और..
आत्मग्लानि के तर्कों के कहीं बहुत पीछे..
युगों.. से आदिम मनोकांक्षाए
मनोरथ पे सवार सैर करतीं रहीं है..
रूनी एक प्यार भरे लम्हें के साथ...

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