Rudranam Bhagat   (Rudranam)
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Joined 23 November 2020


Joined 23 November 2020
12 NOV 2022 AT 10:47

बड़े मुश्किलात से तो पाई थी
फिसलती सी ये ज़मीं मैने,
दरक रही है, आज वो भी
भारी पांव हैं या फिर खयाल मेरे

कोई बता भी दो !!

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9 NOV 2022 AT 10:29

कि, आए तो हम थे दूरदराज़ से
सिर्फ उनका हाल पूछने,
वो बातों बातों में हमसे, हमारे ही
दिल की चाल पूछ बैठे।

इस बेहाल हाल और भटकते दिल
की अनजान चाल में हम अनकहे
से अब कुछ, मिसाल ढूंढ रहे हैं।

उनके खुशदिल हाल में अब हम अपने
दिल की, सीधी सी चाल ढूंढ रहे हैं...








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1 NOV 2022 AT 11:15

मेरे घर के सामने से उनकी पाजेब
का जरा ज़ोर से खनकना,

इशारा करा देता है मुझे, इसी शाम
की मद्धम रोशनी में, है आज उनसे मिलना,

उनका ये अंदाज भी बाकमाल सा है..

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30 OCT 2022 AT 14:26

सेहमते डरते हल्की मुस्कान दे
हमने उनसे अपना तारूफ करा दिया,
वो खिलखिलाकर हंस पड़ी और कहा
" तुम कंजूस बड़े हो "

बड़ी मुस्कुराहटें सीखने की अब
मेरी कोशिशें जारी हैं...

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28 OCT 2022 AT 12:24

तेरे घर की गलियों के साए भी
अब नागवार से गुजरते हैं मुझे,

धोखों से भरे कुछ अक्स जो, अब
भी काबिज़ हैं वहां...

कुछ राहें अब अनजान ही सही...

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27 OCT 2022 AT 13:20

सौदे
सपनों के ...

( Plz read caption)

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25 OCT 2022 AT 14:16

रोशनियों को थामे हुए
तुम्हारे ये हाथ, खिलखिलाती
सी मुस्कुराहटें और छिपे हुए
से कुछ जज़्बात, बस यही तो
भाते हैं मुझे।

तुम खुद भी एक रोशनी ही हो।

Happy Diwali 😊🪔

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23 OCT 2022 AT 11:17

कहां आता है लिखना मुझे
लगता है अच्छा बस,
कलम-कागज़ संग वक्त बिता
लफ्ज़ हल्के गहरे चुन लेता हूं...और

कुछ अपनी कह, कुछ उनकी भी सुन लेता हूं

अधूरे तो हम सभी हैं यहां,समझाकर ये
बात खरी, मैं खुद भी, उसी वक्त ये सच
जरा सा समझ लेता हूं...

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21 OCT 2022 AT 9:43

रोज तुम्हे निहारने की ये जो
आदत है हमारी, तुम..
पास ही रहा करो थोड़ा.. खर्च !!
हो जाते है फिर, ज्यादा खयाल मेरे,
महंगी पड़ जाती है कई दफे,
ये दूरी तुम्हारी।

मुफलिस हूं, मुझे समझ भी लो..

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16 OCT 2022 AT 10:05

कर दिया था दफ्न, दिल में
मेरे, मैने हर तेरे रंज को

फिर हल्के तेरे इक दीदार ने
सारा समा बिगाड़ दिया...

कुछ तकलीफ में हूं अब मैं।

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