तुम कोई कोरा कागज नहीं, जिस पर कुछ लिख सकूँ।
तुम तो वो किताब हो "प्रिय", जिसे हर पल पढ़ता रहूँ।।-
कोई लेखक नहीं बस कभी कभी दिल ... read more
ऐ खुदा मेरे हिस्से उनके दर्द तमाम कर दे ।
मेरी हर खुशी मेरी माँ के नाम कर दे ।।-
ख्वाहिश नहीं कि खुशियाँ बेशुमार मिलें
आरजू बस इतनी कि आखिरी साँस तक माता-पिता का प्यार मिले-
कुछ इस तरह अपना इश्क मैं निभाऊँगा ।
दर्द गर होगा तुम्हें तो अश्क मैं बहाऊँगा ॥
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एक भटकता मुसाफिर हूँ जिसे मंजिल से नहीं रास्तों से प्यार है,
कोई लेखक नहीं बस कभी कभी दिल में उमड़ते जज्बातों और अहसासों के सैलाब को अल्फाजों का रूप देकर पिरो देता हूँ
उनसे चंद लाईनें बन जाती हैं
यदि आपको पसंद आयें तो आपका बड़प्पन है और कोई गलती हो तो वह मेरी अज्ञानता है-
आँसुओं के घूँट मैंने पीना सीख लिया है,
हाँ जिंदगी को मैंने जीना सीख लिया है।-
फुर्सत के इन पलों में मिले अगर थोड़ी सी फुर्सत तो
रिश्तों पर पड़ी धूल हटा लेना, जो रूठा हो उसे मना लेना-
जान की परवाह किये बिना निभा रहे हैं जो अपना फर्ज
कैंसे चुकायेंगे हम उनका कर्ज-
सिर्फ इतनी सी दौलत इस जहां में छोड़कर जाऊँगा
जब जब बात होगी पाक दिल की तो मैं याद आऊँगा-