Rudra Tripathi ♥ ♥   (Bad_boy_rudra)
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Joined 16 February 2020


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Joined 16 February 2020
20 APR AT 10:29

क्यूं तलाशते हो कोई खूबी मुझमें ?

क्या ये खूबी कम नहीं की हम चाय_के_दीवाने हैं....?

- चाय_लवर_रुद्रा ❣️☕

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6 MAR AT 10:18

बे-मुरव्वत, बेवफ़ा, बेगाना-ए-दिल आप हैं

आप मानें या न मानें, मेरे क़ातिल आप हैं 🥹❤️

- रूद्रा त्रिपाठी ❤️

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24 FEB AT 14:44

मेरा दिल है रौशन
तेरा होने के एहसास से

तू ना मिला ये अलग बात है…

- रुद्रा त्रिपाठी ❣️

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29 JAN AT 21:54

हे देवी स्वरूप स्त्री 🙏🙏
यूँ ही नहीं मान्यता है बिन्दी की,
स्त्री में छुपे भद्रकाली के रूप को शान्त करती है ।

यूँ ही नहीं लगाती काजल,
नकारात्मकता निषेध हो जाती है
जिस आँगन स्त्री आँखों में काजल लगाती है

होंठों को रँगना कोई आकर्षण नहीं,
प्रेम की अद्भुत पराकाष्ठा को चिन्हित करती हुई
जीवन में रँग बिखेरती है ।

नथ पहनती है,
तो करुणा का सागर हो जाती है ।

और कानों में कुण्डल पहनती है
तो सामवेदनाओं का सागर बन जाती है ।

चूड़ियों में अपने परिवार को बाँधती है,
इसीलिए तो एक भी चूड़ी मोलने नहीं देती ।

पाज़ेब की खनक सी मचलती है,
प्रेम में जैसे मछली हो जाती है ।

वो स्त्री है साहब... स्वयं में ब्रह्माण्ड लिये चलती है लल
- रुद्रा त्रिपाठी ❣️

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6 JAN AT 19:18

बहुत ही गहरी सोच में होंगे महादेव,
कलयुगी इंसान को देखकर कि....

विषपान तो मैंने किया था पर लोगों
के दिल इतने जहरीले कैसे हो गए....

हर हर महादेव....🕉️🌸

- रुद्रा त्रिपाठी ❣️

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17 DEC 2023 AT 14:37

ज़हर मिलता रहा ज़हर पीते रहे रोज़ मरते रहे रोज़ जीते रहे
ज़िन्दगी भी हमें आज़माती रही और हम भी उसे आज़माते रहे
- रुद्रा त्रिपाठी ❣️

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17 DEC 2023 AT 10:49

जिसने हालात पिये हों...
उन्हे ज़हर का खौफ़ कहाँ...😉
- रुद्रा त्रिपाठी ❣️

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17 DEC 2023 AT 10:07

कभी कभी
सब कुछ बेमानी सा लगने लगता है
ख़ुद का होना भी

शायद ये भी एक पड़ाव है जीवन का
बीत जायेगा जल्द ही…
-रुद्रा त्रिपाठी ❣️

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3 DEC 2023 AT 19:49

अपूर्ण प्रेम की उदासी
जैसे
किसी की याद में सहेजी हुए
सूखे गुलाब की पंखुड़ियाँ

नहीं करना चाहते
हम कभी दूर उसे
उसकी गमक
दर्द भी है और मरहम भी

अपूर्ण प्रेम की
सुरभित पीड़ा को
माथे पर धारण करना
ईश्वर की
अभिमंत्रित भस्म मान

यही है,
प्रेम की सम्पूर्णता
प्रेम का प्रतिदान.
- रुद्रा त्रिपाठी ❣️

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3 DEC 2023 AT 15:00

शाम के होटों पे ठहराव की फ़रमाइश है
ढलता सूरज कहे,इतनी कहाँ गुंजाइश है

लम्हा-ए-वस्ल तेरी उम्र में ईज़ाफ़ा हो
दो मोहब्बत भरे दिलों की यही ख़्वाहिश है
- रुद्रा त्रिपाठी ❣️

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