पानी बा त जिन्दगानी बा
जिनगी में रवानगी बा,
बर्बाद करेके दीवानगी बा।
कई जगह ई अंगार बन के,
खतम होए के कगार पर बा।
बूंद -बूंद बचा लीं लोगिन,
वर्ना पानी बिन सबये के मरे के बा।
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जय श्री राम... read more
मैं अकेला कहाँ रहा ,
तू मेरे साथ रही।
परीक्षा मैंने दी ,
तू माथे पर टीके के साथ रही।
कड़वा भले रहा हो इम्तिहान,
तू तो दही में चीनी की मिठास रही।
हार मान लिया हो कभी मैंने शायद,
पिता संग तू ही जीत की आस रही।
जिस गलती पर पिट जाता शायद,
उसमें भी तेरी डाँट में ,
मुस्कान ही साथ रही।
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मेघ!
तू मत गरज इतना।
ले लेता है
अन्नदाता के प्राण तू ।
क्या है हैवान तू?
वे मजबूर हैं तो ,
तू इक बार न सोचेगा?
बता जरा!
वें न रहें तो ,
इस धरा को कौन सींचेगा?
है बुलंद आवाज़ तेरी तो,
हर बार चिल्लाएगा?
निरपराधों पर ही
अपने तड़ितबाण तू चलाएगा।
कर लें वर्षा से तर हमें
हम शायद सह लेगें चाहे हो जितना ।
पर तू समझ हमारी व्यथा,
मेघ! तू मत गरज इतना।
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मेरी कुछ बूँदों के साथ मित्रता हो गई ,
जो वर्षा के कारण एक पेड़ पर अटक गईं थी।
जैसे ही मैंने पेड़ की शाखों को हिलाया,
वे खिलखिलाते हुए धरती पर जा गिरीं ,
फिर कहीं ओझल हो गईं।
प्रश्न -- किसे क्या मिला?
उत्तर -- मुझे शांति और उन्हें मोक्ष
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तुझे क्या इल्म इस दुनिया का,
हरेक की कामयाबी शोहरत साथ नहीं लाती।-
तेरी वजह से ,
मोहब्बत का कर्ज़दार हूँ ।
तूने मूल लिया सो लिया,
अब तो,
किश्त का भी हक़दार हूँ ।
सोचा,
कहानी तेरी -मेरी होगी।
पर,
अकेला मैं ही क्यों किरदार हूँ ।-
क्योऺ बिखेरूं मैं अल्फाज़ उनपर
जब उन्हे समेटना आता ही नहीं।
वह हँसते तो जग भी हंसता पर,
उनको खुद हँसना आता ही नहीं।
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मैंने आज सबसे हसीं मंज़र देखा,
इक बच्चे को सूखी रोटी चूमते देखा।
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तुम सच तलाशते रहो, इस जहान में।
मुर्दे हँसते रहेंगे, श्मशान में।-