बदलते लोग बदलता जीवन
वक्त के साथ खतम होते अपनेपन के अहसास
टीके जो रिश्ते स्वार्थ पर, वही अब सबसे खास.....
एक ही छत के नीचे रहते, बनकर के अनजान
और अनदेखे लोगों से होती नित नई पहचान...
सोशल मीडिया ने मचाया, कि इस कदर तूफान,,
हजारों दोस्त होने के बाद भी, अकेला है इंसान.....-
बेवज़ह हर बात पर लिखना मेरी आदत नहीं,,
शब्द जो दिल को छू ... read more
काश हम पंक्षी बन उड़ पाते ,,उन्मुक्त हो गगन में....
काश हम निडर हो रह पाते,,इस जीवन में...
काश की हम जी पाते,,सारे स्वप्न हकीकत में...
काश कि ये काश ही न होते,हमारे जीवन में......-
दिल से दिल तक......
हर बार अल्फाज़ हो,,जरूरी तो नहीं
ख़ास एहसास तो आंखों से ही बयां हो जाते हैं.....
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वक़्त इतना भी कम नहीं ......
कि जी भर जी न सको,,
खुशी इतनी भी महंगी नहीं.....
कि खुलकर मुस्कुरा न सको,,,
लेकिन,,,
लड़ना पड़ता है खुद से....
अपनी ख्वाइशें पूरी करने को,,
कभी खुलकर मुस्कुराने को...
अपनी मर्जी से जिंदगी जीने को...-
मुट्ठी भर ख्वाइशें, कभी कम ही न हुई,,,
कोशिशें होती रही और जिंदगी निकल गई।।।
(सबकुछ अधूरा ही रह गया सिवाय जिंदगी के)
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साहिल जब दरिया से किनारा कर छोड़ जाता है,,
नदिया में अजब सी हलचल पैदा कर जाता है....
सच है कि....
उसके बिना अस्तित्व दरिया का खत्म हो जाता है,,
लेकिन टूटकर फिर साहिल भी कहाँ बच पाता है...-
होड़ मची है आपस में , अब पाने को बस नाम
भूल गए सब भरत को और न याद आ रहे राम।।
भूल गए सब त्याग भरत का, और मर्यादा के राम,,
वर्चस्व की लड़ाई अब, कैकई मंथरा के गुणगान।।
भाई भाई नहीं बचा अब, दोस्त भी बचा सिर्फ नाम,,
मतलब की हुई दुनिया सारी, स्वार्थ के रिश्ते तमाम...
परमात्मा से रिश्ते अब बाहरी दिखावे के आयाम,,
रागद्वेष से भरे इस मन को ,कैसे मिलेंगे राम???
— रुचिता तुषार
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Believe in yourself
विश्वास और उम्मीद हमेशा खुद पर कीजिए,,
दूसरों पर करने से अकसर निराशा मिलती है....-
हर लफ्ज़ का अपना वजूद है.....
कुछ लफ्ज़ इबादत से, कुछ लफ्ज़ बगावत के,,
किसी को दिल में उतार दे, तो किसी को दिल से....-