Ruchita neema✍️   (रुचिता तुषार)
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Joined 5 January 2021


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25 JUL 2024 AT 17:41

बदलते लोग बदलता जीवन

वक्त के साथ खतम होते अपनेपन के अहसास
टीके जो रिश्ते स्वार्थ पर, वही अब सबसे खास.....

एक ही छत के नीचे रहते, बनकर के अनजान
और अनदेखे लोगों से होती नित नई पहचान...

सोशल मीडिया ने मचाया, कि इस कदर तूफान,,
हजारों दोस्त होने के बाद भी, अकेला है इंसान.....

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19 JUL 2024 AT 9:59

Time
is
best solution.....


for all problems ....

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14 JUL 2024 AT 22:09

काश हम पंक्षी बन उड़ पाते ,,उन्मुक्त हो गगन में....
काश हम निडर हो रह पाते,,इस जीवन में...

काश की हम जी पाते,,सारे स्वप्न हकीकत में...
काश कि ये काश ही न होते,हमारे जीवन में......

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9 JUL 2024 AT 20:17

दिल से दिल तक......

हर बार अल्फाज़ हो,,जरूरी तो नहीं
ख़ास एहसास तो आंखों से ही बयां हो जाते हैं.....

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18 MAY 2024 AT 23:44

वक़्त इतना भी कम नहीं ......
कि जी भर जी न सको,,
खुशी इतनी भी महंगी नहीं.....
कि खुलकर मुस्कुरा न सको,,,

लेकिन,,,

लड़ना पड़ता है खुद से....
अपनी ख्वाइशें पूरी करने को,,
कभी खुलकर मुस्कुराने को...
अपनी मर्जी से जिंदगी जीने को...

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16 MAY 2024 AT 20:37

मुट्ठी भर ख्वाइशें, कभी कम ही न हुई,,,
कोशिशें होती रही और जिंदगी निकल गई।।।

(सबकुछ अधूरा ही रह गया सिवाय जिंदगी के)

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10 MAY 2024 AT 20:26

साहिल जब दरिया से किनारा कर छोड़ जाता है,,
नदिया में अजब सी हलचल पैदा कर जाता है....

सच है कि....

उसके बिना अस्तित्व दरिया का खत्म हो जाता है,,
लेकिन टूटकर फिर साहिल भी कहाँ बच पाता है...

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5 MAY 2024 AT 16:43

होड़ मची है आपस में , अब पाने को बस नाम
भूल गए सब भरत को और न याद आ रहे राम।।

भूल गए सब त्याग भरत का, और मर्यादा के राम,,
वर्चस्व की लड़ाई अब, कैकई मंथरा के गुणगान।।

भाई भाई नहीं बचा अब, दोस्त भी बचा सिर्फ नाम,,
मतलब की हुई दुनिया सारी, स्वार्थ के रिश्ते तमाम...

परमात्मा से रिश्ते अब बाहरी दिखावे के आयाम,,
रागद्वेष से भरे इस मन को ,कैसे मिलेंगे राम???


— रुचिता तुषार





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27 APR 2024 AT 18:58

Believe in yourself

विश्वास और उम्मीद हमेशा खुद पर कीजिए,,
दूसरों पर करने से अकसर निराशा मिलती है....

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26 APR 2024 AT 20:57

हर लफ्ज़ का अपना वजूद है.....

कुछ लफ्ज़ इबादत से, कुछ लफ्ज़ बगावत के,,
किसी को दिल में उतार दे, तो किसी को दिल से....

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