एक मिराज तुम,
जैसे हो छलावा कोई तुम,
चांद पे सवार, तारों के संग,
है एक नया उजाला तुम,
हकीकत के पार,जो ख्वाब
हो तुम वो मिराज।।।-
My feelings,
My emptynes,
My pain,
My emotions,
Everything that starts from me...-
दर बदर बस तुझे,
है कहीं तू छुपा मुझसे,
सामने है मगर,है अनदेखा,
क्या है, क्यों है बस इतना बता।।-
लगाता है किसी को ढूंढता रहता है,
हर तरफ चांदनी फैला कर,उसे खोजता
रहता है, कि कहीं तो मिल जाए वो, जिसे
वो अक्सर ढूंढते रहता है।।।-
जब से हकीकत से सामना होने लगा है,
ये दर्द,ये तड़प सब अपना सा लगने लगा है,
जब से इस दुनियां की निर्ममता को देखा है।।-
कहीं किसी कोने में,
हर तरफ कहीं समाज,
कहीं रस्में तो कहीं परंपराओं,
में सिमटा सब कुछ, जज्बात
तेरे मेरे हैं, कहीं गुम किसी
कोने में, कहीं किसी कोने में।।
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Is eternal,
Sometimes in hate,
Sometimes in ego,
Sometimes in pain,
Like a blood in my veins...
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शब्दों के जख्म से,
कोई तो मुझे आजाद करो,
कि कहीं मैं चंद पन्नों में,
शब्द बन ना सिमट जाऊं।।-